ज़रा भी सलीके के स्कूल में पढ़ चुके या ज़रा भी समझदार माँ-बाप वाले परिवार में पैदा हुए बहुत कम ऐसे लोग होंगे जिन्होंने अपने बचपन में ‘द लिटल प्रिंस’ को न पढ़ा हो! यह छोटी सी किताब अमूमन दुनिया के हर स्कूल की लाइब्रेरी में पाई जाती है और बच्चे इस बहुत चाव से इशू कराते हैं. एक बार इसे पढ़ चुकने के बाद यह किताब जीवन भर आपके साथ बनी रहती है. (The Little Prince Saint-Exupéry)
‘द लिटल प्रिंस’ का प्रकाशन अप्रैल 1943 में फ्रांस में हुआ था. फ्रेंच एरिस्टोक्रेट, लेखक, कवि और एवियेटर के रूप में विख्यात एन्तुआन दे सांत एक्जूपेरी की लिखी सबसे विख्यात किताब है ‘द लिटल प्रिंस’ नाम की यह लघु उपन्यासिका. (The Little Prince Saint-Exupéry)
समूचे फ्रांस के लोगों ने एक सर्वे में में इस किताब को बीसवीं शताब्दी की सबसे बेहतरीन फ्रेंच किताब के रूप में चुना है. दुनिया की तीन सौ भाषाओं और बोलियों में छप चुकी इस किताब की पिछले साल तक कुल 140 मिलियन, यानी करीब चौदह करोड़ प्रतियां बिक चुकी थीं. मानव इतिहास में प्रकाशित सबसे अधिक बिकी पुस्तकों में इसका शुमार होता है.
हालांकि इस किताब को लेखक ने बच्चों की किताब के रूप में लिखा था अलबत्ता यह आज तक वयस्कों की भी चहेती बनी हुई है. इसके पीछे बड़ा कारण यह है कि इस किताब में जीवन और उसे जीने की कला को लेकर अनेक महत्वपूर्ण बातें कही गयी हैं.
अपने प्रकाशन के बाद यह किताब कला की तमाम विधाओं में अडाप्ट की जा चुकी है यानी इस को आधार बना कर अनेक ऑडियो रेकॉर्डिंग, रेडियो नाटक, लाइव स्टेज परफ़ॉर्मेंस, फिल्मे, टीवी कार्यक्रम, बैले और ऑपेरा बनाए जा चुके हैं.
किताब का नैरेटर एक पाइलट है जो कहानी की शुरुआत में वयस्क हो चुके लोगों के व्यवहार के बारे में बातें करता है और आपको बताता है कि बड़े हो चुके लोग जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजों को समझ पाने में किस कदर अक्षम होते हैं. वह आपको अपने बचपन के स्कूल का एक किस्सा सुनाता है.
एक बार नैरेटर का विमान सहारा के रेगिस्तान में क्रैश हो जाता है जहां उस के पास कुल आठ दिन के लिए पानी की सप्लाई बची है और ज़िंदा रहने के लिए उसे इन्हीं आठ दिनों में अपने विमान की मरम्मत करनी है.
इस रेगिस्तान में पाइलट की मुलाक़ात अचानक एक छोटे से बच्चे से हो जाती है जिसका नाम ‘द लिटल प्रिंस’ है. खूबसूरत सुनहरे बालों वाले इस बच्चे की हंसी निश्छल है और उसे खूब सारे सवाल पूछने की आदत है जिन्हें वह बार-बार तब तक पूछता रहता है जब कि उनके उत्तर उसे नहीं मिल जाते.
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नैरेटर से मिलने के बाद लिटल प्रिंस उस से एक भेड़ का चित्र बनाने को कहता है. तीन बार भेड़ का चित्र बनाने में असफल रहने के बाद नैरेटर एक बक्से का चित्र बनाता है और ‘द लिटल प्रिंस’ से कहता है कि भेड़ उस बक्से के भीतर है. लिटल प्रिंस सहमत होकर खुशी जाहिर करता है और कहता है कि उसे भेड़ का ठीक वैसा ही चित्र चाहिए था.
अगले आठ दिन तक नैरेटर अपना जहाज ठीक करता रहता है जबकि लिटल प्रिंस उसे अपने जीवन की कहानी सुनाता है.
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तमाम जादुई तत्वों और फंतासियों से बनी इस कहानी को दुनिया भर के बच्चों और बड़ों दोनों ने इस कदर प्यार से हाथोहाथ लिया कि यह आज तक संसार की सर्वकालीन सर्वश्रेष्ठ बेस्टसेलर किताबों की लिस्ट में अपना स्थान बनाये हुए है.
यदि आपने या आपके बच्चे ने यह शानदार किताब नहीं पढ़ी है तो हमारी सलाह है ऐसा कर डालिए. क्यों न आज ही ऐसा करें? आज ‘द लिटल प्रिंस’ के जनक यानी एन्तुआन दे सांत एक्जूपेरी (29 जून 1900 – 31 जुलाई 1944) का जन्मदिन जो पड़ता है!
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