अशोक पाण्डे

अलौकिक है मुनस्यारी का थामरी कुण्ड

उत्तराखंड के मुनस्यारी नगर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है थामरी कुण्ड. समुद्र की स्तर से करीब 7500 फीट कीम ऊंचाई पर स्थित इस सुन्दर स्थान पर जाने लिए मुनस्यारी से बिरथी जाने वाली सड़क पर करीब सात किलोमीटर आगे स्थिर एक मंदिर के पास लगा वन विभाग का बोर्ड आपको दिखाई देता है. इस बिंदु से आपको करीब तीन-साढ़े तीन किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होती है. (Thamri Kund Munsyari Photos)

यह पूरा रास्ता इतना सुन्दर है कि उसकी सुन्दरता का बखान शब्दों में किया जाना संभव नहीं है. देवदार और बुरांश के घने जंगलों से होकर गुजरने वाला यह रास्ता आपको पञ्चचूली पर्वत श्रृंखला के आलीशान दृश्य विविध कोणों से दिखाता रहता है. अनेक विशिष्ट हिमालयी जड़ी-बूटियों और दुर्लभ वृक्षों से आच्छादित यह वन एक तरह से किसी सेंक्चुअरी जैसा है जिसमें पर्याप्त मात्रा में वन्यजीवन भी मौजूद है. बर्डवॉचिंग के शौकीनों के लिए तो यह ट्रेक किसी वरदान जैसा है क्योंकि यहाँ इतने तरह के पक्षी दिखाई देते हैं कि आपको उनकी गिनती करने में ही कई दिन लग जाएँगे. उत्तराखंड का राजकीय पक्षी मोनाल भी किस्मत वालों को दिखाई दे जाता है. (Thamri Kund Munsyari Photos)

रास्ते में चरवाहे और उनकी भेड़ों के रेवड़ भी देखे जा सकते हैं.

चरों तरफ पहाड़ियों से घिरी एक छोटी सी झील तक पहुँचने के लिए आपको मुख्य मार्ग से थोड़ा सा नीचे उतरना होता है. ताजे पानी की यह शांत झील घंटों तक देखे जाने योग्य है.  

स्थानीय मान्यता है कि बरसात न होने की स्थिति में थामरी कुण्ड जाकर पूजा अर्चना करने से इंद्र देव प्रसन्न होते हैं. यहाँ झील के एक किनारे पर एक छोटा सा मंदिर भी है जहां पिछली पूजाओं के निशान देखे जा सकते हैं.

मुनस्यारी जाने वाले पर्यटकों के लिए यहाँ जाना बहुत जरूरी है क्योंकि ऐसा किये बिना इस इलाके के सबसे सुन्दर नज़रों को देखा नहीं जा सकता. थामरी कुण्ड का ट्रेक मार्च से मई के मध्य किया जाना बहुत विशेष होता है क्योंकि उन दिनों यहाँ खिलने वाला दिव्य गुलाबी बुरांश अपनी पूरी रंगत के साथ खिला हुआ होता है.

सभी फोटो एवं आलेख: अशोक पाण्डे

फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे
फोटो: अशोक पाण्डे

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago