उत्तराखण्ड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ की शीतल राज का चयन साल 2020 के तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड के लिए किया गया है. 13 नवम्बर को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति के हाथों शीतल यह अवार्ड ग्रहण करेंगी. गौरतलब है कि यह पुरस्कार भारत के गणराज्य का सर्वोच्च साहसिक खेल सम्मान है जिसे अर्जुन अवार्ड के समकक्ष माना जाता है. यह पुरस्कार साहसिक खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है. पुरस्कार में तेनजिंग नोर्गे के कांसे के स्टेच्यू के साथ-साथ 5 लाख नकद शामिल हैं. (Tenzing Norgay National Adventure Award)
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पिथौरागढ़ के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली शीतल ने बहुत कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में उल्लेखनीय मुक़ाम हासिल किया है. शीतल ने 2019 में विश्व की सर्वोच्च चोटी माउन्ट एवरेस्ट पर भारतीय झंडा फहराया था. उत्तराखण्ड की एक और बेटी ने किया एवरेस्ट फतह
इससे पहले शीतल 2018 में दुरूह मानी जाने वाली कंचनजंघा को भी फतह किया था. उनके नाम कंचनजंघा को सबसे कम उम्र में फ़तेह करने का रिकॉर्ड भी है. शीतल ने जब कंचनजंघा फतह की तब वे मात्र 22 साल की थीं.
हाल ही में 15 अगस्त 2021 को शीतल ने यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउन्ट एल्ब्रुस को फतह किया था. उत्तराखंड की बेटी ने यूरोप की सबसे ऊँची चोटी पर फहराया तिरंगा
साल 2013 में शीतल ने मात्र 16 साल की उम्र में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने की शुरुआत की.
2015 में शीतल ने ‘हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ़ माउंटनियरिंग’ दार्जिलिंग से पर्वतारोहण का अडवांस कोर्स किया. इसके बाद शीतल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
शीतल, 2014 में रुद्रगैरा (5950 मीटर ,) 2015 में देवटिब्बा 6001 मीटर,) 2015 में ही त्रिशूल (7120 मीटर,) 2017 में सतोपंथ (7075 मीटर,) आदि चोटियों को भी फतह कर चुकी हैं.
फिलहाल शीतल कुमाऊँ मंडल विकास निगम के साहसिक पर्यटन अनुभाग में कार्यरत हैं. तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड हासिल कर शीतल ने एक बार फिर राज्य का गौरव बढ़ाया है. उनकी इस उपलब्धि पर प्रदेश भर से बधाइयों का सिलसिला चल निकला है.
शीतल चंद्रप्रभा ऐतवाल और लवराज धरमशक्तू को अपना प्रेरणास्रोत बताती रही हैं.
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एवरेस्ट मेरा भगवान है – लवराज सिंह धर्मसक्तू
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