Uttarakhand Memoir by Gyan Pant

आखिर बाबू को आश्रय देने वाले लोग कैसे रहे होंगे

पिताजी सन् 1949 में लखनऊ आ गए थे. उन्होंने ने ही बताया था कि घर से ( गराऊँ, बेरीनाग )…

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केमू में सफ़र और बीते ज़माने की याद

के०एम०ओ०यू० यानी कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन. पहाड़ में सड़क परिवहन की सबसे पहली पंजीकृत संस्था. पुराने लोगों को याद होगा,…

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अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे

बात सन् 1982 के शुरुआती दिनों की है जब आमा लोहे के सन्दूक में पूरा पहाड़ समेटकर वाया बरेली यहाँ…

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