मैं, अर्थात गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित त्रिशूल, आँखिन देखी अपनी कथा सुनाकर जी हल्का करना चाहता…
हर तरफ हुस्न है, जवानी है,आज की रात क्या सुहानी हैरेशमी जिस्म थरथराते हैं,मर्मरी ख्वाब गुनगुनाते हैंधड़कनों में सुरूर फैला…