Sudhir Kumar

बिना दूल्हे वाली बारात की भी परम्परा थी हमारे पहाड़ों में

अक्सर हमें अपने बड़े-बूढ़ों से सुनने को मिलता है कि एक ज़माने में सैनिकों या किसी अन्य वजह से घर…

6 years ago

दिनेश लाल – उत्तराखण्ड के लोकजीवन को तराशता कलाकार

शौक के लिए आपका जूनून आपकी कई तरह की समस्याओं का समाधान ला सकता है, कुछ ऐसी ही कहानी है…

6 years ago

आज भी बरकरार है बौराणी मेले की रंगत

उत्तराखण्ड को अगर पर्वों, उत्सवों और मेलों की भी धरती कहा जाये तो ग़लत नहीं होगा. पूरे प्रदेश में साल…

6 years ago

अपने बाशिंदों जैसा ही सरल और गुणी होता है पहाड़ का भोजन

भारत में खाया जाने वाला खाना पोषण की दृष्टि से बहुत समृद्ध है. गरीबी में भी गांवों के मेहनतकशों ने…

6 years ago

एक दिलकश हिमालयी ताल: देवरियाताल

रूद्रप्रयाग से 49 किमी की दूरी पर स्थित देवरिया ताल एक दिलकश हिमालयी है. हरे भरे जंगलों से घिरी इस…

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हरीशताल, लोहाखामताल: नैनीताल जिले के दो खूबसूरत तालाब

अनछुई जगह से लौटकर उस यात्रा के अधूरेपन का अहसास दिल को सालता रहता है. मेरे साथ हमेशा ही ऐसा…

6 years ago

पहाड़ियों के लिए दिशाएँ सिर्फ दो होती हैं

होती होंगी दिशाएँ चार, आठ या दस. हम पहाड़ियों के लिए दिशाएँ होती हैं सिर्फ दो - ऊपर और नीचे.…

6 years ago