Story by Gyanranjan

ज्ञानरंजन की कहानी ‘छलांग’

श्रीमती ज्वेल जब यहाँ आकर बसीं तो लगा कि मैं, एकबारगी और एकतरफा, उनसे फँस गया हूँ और उन्हें छोड़…

3 years ago

ज्ञानरंजन की कहानी ‘पिता’

उसने अपने बिस्तरे का अंदाज लेने के लिए मात्र आध पल को बिजली जलाई. बिस्तरे फर्श पर बिछे हुए थे.…

4 years ago