Story by Batrohi

डेन्यूब किनारे हिमालय का पक्षी : बटरोही की कहानीडेन्यूब किनारे हिमालय का पक्षी : बटरोही की कहानी

डेन्यूब किनारे हिमालय का पक्षी : बटरोही की कहानी

फ्रैंकफर्ट में जहाज बदला और हंगरी के स्थानीय समय के अनुसार पूर्वाह्न साढ़े दस बजे, जिस वक़्त भारत में दोपहर…

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भगवान तुलसीदास गलत नहीं लिख सकतेभगवान तुलसीदास गलत नहीं लिख सकते

भगवान तुलसीदास गलत नहीं लिख सकते

बुआजी के एक विधुर जेठ थे, जिन्हें घर के सब लोग ‘बड़े बाबजी’ पुकारते थे. मझोले कद के बड़े बाबजी…

6 years ago
बंपुलिस… द एंग्लो इंडियन पौटी – बटरोही की कहानीबंपुलिस… द एंग्लो इंडियन पौटी – बटरोही की कहानी

बंपुलिस… द एंग्लो इंडियन पौटी – बटरोही की कहानी

काफल ट्री में नियमित कॉलम लिखने वाले लक्ष्मण सिंह बिष्ट 'बटरोही' का जन्म 25 अप्रैल 1946 को अल्मोड़ा के छानागाँव…

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मोत्दा-च्चा-बड़बाज्यू की दैहिक कहानी का अंतमोत्दा-च्चा-बड़बाज्यू की दैहिक कहानी का अंत

मोत्दा-च्चा-बड़बाज्यू की दैहिक कहानी का अंत

फरहत का परिवार हमारे पड़ोस में रहता था. चूल्हे-चौके की तमाम गोपनीयता के बावजूद दोनों परिवार लगभग एक ही छत…

6 years ago