Poem by Harish Chandra Pande

औरत पहाड़ का नाम हैऔरत पहाड़ का नाम है

औरत पहाड़ का नाम है

आंचलिक भाषा मेंमांगलिक गीत गाते हुएवे रोपती हैंज़िदगी की जड़ें पानी में रंग-बिरंगी पोशाकेंमाटी में सने हाथजैसेपिघले सोने में सने…

2 years ago
उसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता हैउसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता है

उसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता है

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 7 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
ऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिएऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिए

ऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिए

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
जब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहलजब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहल

जब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहल

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतरजिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतर

जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतर

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 4 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
वे मगहर में नहीं अपने घर में मर रहे हैंवे मगहर में नहीं अपने घर में मर रहे हैं

वे मगहर में नहीं अपने घर में मर रहे हैं

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 3 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
एक दिन में नष्ट किया जा सकता है कोई भी पुस्तकालयएक दिन में नष्ट किया जा सकता है कोई भी पुस्तकालय

एक दिन में नष्ट किया जा सकता है कोई भी पुस्तकालय

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 2 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
एक बुरूंश कहीं खिलता हैएक बुरूंश कहीं खिलता है

एक बुरूंश कहीं खिलता है

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 1 एक बुरूंश कहीं खिलता है - हरीश चन्द्र पांडे खून को अपना रंग…

6 years ago