Memoir by Gyan Pant

जब तिल्लू बड़बाज्यू भिटौला लेकर आये

भिटौली पर याद आया कि उस साल हम पहाड़ में रहे थे जब तिल्लू बड़बाज्यू भिटौला लेकर आये होंगे. आप…

3 years ago

रेब्दा ताऊजी के बहाने उत्तराखण्ड की लुप्त होती परम्पराओं पर एक नजर

हुसैनगंज में तो रक्षाबंधन की भनक लग जाती थी क्योंकि जून महीने से ही रेब्दा ताऊजी की तकली नाचने लगती.…

5 years ago

आखिर बाबू को आश्रय देने वाले लोग कैसे रहे होंगे

पिताजी सन् 1949 में लखनऊ आ गए थे. उन्होंने ने ही बताया था कि घर से ( गराऊँ, बेरीनाग )…

6 years ago

केमू में सफ़र और बीते ज़माने की याद

के०एम०ओ०यू० यानी कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन. पहाड़ में सड़क परिवहन की सबसे पहली पंजीकृत संस्था. पुराने लोगों को याद होगा,…

6 years ago

अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे

बात सन् 1982 के शुरुआती दिनों की है जब आमा लोहे के सन्दूक में पूरा पहाड़ समेटकर वाया बरेली यहाँ…

6 years ago