हिंदी कवि मंगलेश डबराल को गुज़रे एक साल हुआ. नौ दिसंबर 2020 को कोरोना महामारी से उनकी जान गई. प्रस्तुत…
मैं जब भी यथार्थ का पीछा करता हूं देखता हूं वह भी मेरा पीछा कर रहा है मुझसे तेज़ भाग…
जिनकी स्मृति में बिजली के लट्टुओं से जगमग पहाड़ की ही छवि है वो पहाड़ में लालटेन के बिम्ब का…
साहित्य अकादेमी पुरुस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल (Manglesh Dabral) हमारी भाषा के जाने माने कवि हैं. 16 मई 1948 को…
मंगलेश डबराल की कविता और जीवन पर कृष्ण कल्पित - शिवप्रसाद जोशी महत्त्वपूर्ण रचनाकार पर लिखने का आखिर क्या तरीक़ा…
जीवन के लिए -मंगलेश डबराल शायद वहाँ थोड़ी सी नमी थी या हल्का सा कोई रंग शायद सिरहन या उम्मीद…
पिता का चश्मा -मंगलेश डबराल बुढ़ापे के समय पिता के चश्मे एक-एक कर बेकार होते गए आँख के कई डॉक्टरों…
बच्चों के लिए चिठ्ठी -मंगलेश डबराल प्यारे बच्चो हम तुम्हारे काम नहीं आ सके. तुम चाहते थे हमारा क़ीमती समय…
(पिछले हिस्से का लिंक - पाब्लो नेरुदा से एक बातचीत) पाब्लो नेरुदा (12 जुलाई 1904 - 23 सितंबर 1973) की…
संगतकार -मंगलेश डबराल मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती वह आवाज़ सुंदर कमजोर काँपती हुई थी…