मोहनजोदड़ो की आखिरी सीढ़ी से -रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ मैं साइमन न्याय के कटघरे में खड़ा हूं प्रकृति और मनुष्य मेरी…
दो बाघों की कथा -रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ मैं तुम्हें बताऊंगा नहीं बताऊंगा तो तुम डर जाओगे कि मेरी सामने वाली…
नई खेती -रमाशंकर यादव 'विद्रोही' मैं किसान हूँ आसमान में धान बो रहा हूँ कुछ लोग कह रहे हैं कि…
रमाशंकर यादव 'विद्रोही' (3 दिसम्बर 1957 - 8 दिसंबर 2015) हिंदी के लोकप्रिय जनकवि हैं. वे स्नातकोत्तर छात्र के रूप…