सन 1871 की यात्रा (हरिद्वार) के बाद भारतेन्दु ने हरिद्वार के एक पण्डे को पत्र में लिखा था-(Haridwar Travelogue by…
भारतेंदु हरिश्चन्द्र के कालजयी नाटक अन्धेर नगरी की शुरुआत में लिखी गई हैं ये पंक्तियां - छेदश्चंदनचूतचम्पकवने रक्षा करोरद्रुमेः हिंसा…
“इस साल बलिया में ददरी मेला बड़ी धूम-धाम से हुआ. श्री मुंशी बिहारीलाल, मुंशी गणपति राय, मुंशी चतुरभुज सहाय सरीखे…