Bagh Story by Hari Mridul

पहल पत्रिका के आखिरी अंक से हरि मृदुल की कहानी ‘बाघ’पहल पत्रिका के आखिरी अंक से हरि मृदुल की कहानी ‘बाघ’

पहल पत्रिका के आखिरी अंक से हरि मृदुल की कहानी ‘बाघ’

मुझे अपने बूबू (दादा जी) की खूब याद है. अब तो उन्हें गुजरे हुए भी चालीस साल के ऊपर हो…

4 years ago