6 सितम्बर 1989 का दिन भी हल्द्वानी में एक दुखद घटना वाला दिन रहा. दरअसल इस घटना के पीछे पुलिस…
आज उत्तराखण्ड की प्रमुख मण्डी के रूप में हल्द्वानी स्थापित है. पूर्व में यहां मण्डी का कारोबार मंगल पड़ाव, मीरा…
साठ के दशक से पूर्व नगर में एक फकीर घूमा करता था, नाम था उसका किशना पागल. वह अपनी मर्जी…
लोहवन के ही रहने वाले दाऊदयाल गुप्ता उनके बेटे विष्णु और सतीश चाट का ठेला लगाते थे. दाऊदयाल पेठा बेचते…
1860 के करीब पटवा बिरादी ने रामपुर से आकर हल्द्वानी में कारोबार शुरू किया था. तब पैंठ पड़ाव में सड़के…
करीब सवा सौ साल पूर्व अपने मूल स्थान जिला सीकर राजस्थान के ग्राम कांवट निकट नीम का थाना से रानीखेत…
सन 1900 के करीब अलीगढ़ के गांव काजमाबाद से रामचन्द्र जी भी यहां आये और साझे में हलवाई की दुकान…
इस परिवार की दूसरी फर्म जवाहरलाल जगन्नाथ प्रसाद नाम से बनी, जिसमें मिश्री गट्टा, बूरा का कार्य होता था. सदर…
यूसुफ साहब बताते हैं कि उन्होंने बचपन में अपने बुजुर्गों से रामगढ़, नथुवाखान, बागेश्वर इत्यादि नाम सुने थे. इन जगहों…
हल्द्वानी के बरेली रोड में आज भी अब्दुल्ला बिल्डिंग विख्यात है. इसके बारे में माजिद साहब बताते हैं कि उनका…