संजय व्यास

तो क्या ऐसे में तुम मुझसे प्रेम कर पाओगे?

तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो ? … और इसके उत्तर में काफ़ी देर शून्य में ताकता रहा.…

5 years ago

धरती के युद्ध धरती पर ही लड़े जायेंगे

जिस जगह वो रहता था उस जगह के आगे कोई बस्ती नहीं थी. गाँव के छोर से आगे जाने की…

5 years ago

किसी कोने में लटकी लालटेन कहीं कहीं उजाले के धब्बे छोड़ती है

एक लालटेन का जलना क्या खुद लालटेन के लिए एक त्रासदी है? उसकी रौशनी की सेहत, उसकी तबीयत का मिज़ाज…

5 years ago

भटकने का अपना सुख है

माचिस की डिबिया -संजय व्यास तीली माचिस की हरेक तीली की नोक पर पिछले दस हज़ार सालों का इतिहास दर्ज़…

6 years ago

खिड़की में खड़ी सपनों की रानी

दुनिया या प्रेम में खुलती खिड़की -संजय व्यास डाकिया आज भी उसे कायदे से नहीं जान पाया था भले ही…

6 years ago