कुछ दिन पहले हमारे एक मित्र ने बताया, कि आज उन्होंने एक अजीब वाकया देखा; एक रिक्शे के नीचे कुत्ता…
चिकित्सा-जगत में ये बात बड़ी शिद्दत से महसूस की जाती है कि, नब्ज देखने की परिपाटी अब लगभग विलुप्त सी…
फिल्म दिल्लगी(1978) में सट्ल ह्यूमर (Subtle humour) की श्रेष्ठ बानगी देखने को मिलती है. फिल्मकार ने, मानव- स्वभाव के सूक्ष्म…
किंवदंतियों के मामले में पड़ोसन (1968) शायद शोले के बाद दूसरे नंबर पर पड़ती होगी. हिंदी सिनेमा के इतिहास में…
कथाकार पंकज बिष्ट को इस वर्ष के राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान (Rajkamal Chaudhari Memorial Award 2019) के लिए चुना गया…
हिंदी सिनेमा में सही मायने में अगर क्लासिक फिल्मों की बात की जाय, तो चलती का नाम गाड़ी (Chalti Ka…
कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ [ललित मोहन रयाल (Lalit Mohan Rayal) कृत ‘अथश्री प्रयाग कथा’ के बहाने प्रयाग के ‘बहबूद के…
प्रसिद्ध कवि लीलाधर जगूड़ी जी को उनकी काव्य रचना ‘जितने लोग उतना प्रेम’ के लिए अखिल भारतीय बिड़ला फाउंडेशन का…
कुछ फिल्में दर्शकों को आज भी बेहद रोमांचित करती हैं. इस तथ्य पर गहनता से विचार करें कि, ऐसा क्यों…
कुंदन शाह निर्देशित और एनएफडीसी निर्मित, यह फिल्म भ्रष्टाचार पर सीधी चोट करती है. सिस्टम, बिजनेसमैन और मीडिया के गठजोड़…