उत्तराखण्ड की लोककथाएँ

लोककथा : शेरू और श्याम

सावित्री ने आज घर पर ही रहने का फैसला किया. थकाऊ खेती के काम से आज उसे फुरसत मिली थी.…

4 years ago

लोककथा : दुबली का भूत

सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्रों में स्थायी निवास के साथ-साथ प्रायः एक अस्थाई निवास बनाने का चलन है, जिसे छानी या खेड़ा…

4 years ago
पार्वती की ख़ुशी है फुल्यारी की संग्रांदपार्वती की ख़ुशी है फुल्यारी की संग्रांद

पार्वती की ख़ुशी है फुल्यारी की संग्रांद

हे! बीरा फूफू, हे! बीरा फूफू, हे! बैरी (बहरी,) हे! सुनती है कि नहीं, मैं अपनी छज्जा के किनारे तब…

6 years ago
भिटौली के महीने में गायी जाती है गोरिधना की कथाभिटौली के महीने में गायी जाती है गोरिधना की कथा

भिटौली के महीने में गायी जाती है गोरिधना की कथा

जेठ म्हैणा जेठ होली, रंगीलो बैसाख, रंगीलो बैसाख लाड़ो म्हैणा, योछ चैतोलिया मास. बैणा वे येछ गोरी रैणा मैणा ऋतु…

6 years ago