बचपन से आज तक ईजा (मां) को कभी नहीं भूला. वह 1956 में विदा हो गई थी, जब मैं छठी…
काली कुमाऊँ योद्धाओं का क्षेत्र है, अतः यहाँ की सभी परंपराएँ शक्ति (ताकत) से जुड़ी हुई हैं. दानवों की भूमि…
घूमने का मौसम है, यात्राओं का मौसम है. उत्तराखंड में भीड़ बढ़ रही है ऐसे वक्त कुछ सुकून के पल…
उत्तराखंड की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है चौकोड़ी. हिमालय के हृदयस्थल में घने जंगलों से घिरी यह छोटी…
उत्तराखण्ड में कुमाऊँ के जिला चम्पावत के लोहाघाट नगर के नजदीक एबट माउंट नामक एक बहुत ही खूबसूरत स्थान है.…
सीधी खड़ी चढ़ाई पर खच्चर आदमी ढो रहे हैं. सामान और आदमी से लदे इन खच्चरों के ऊपर लदा आदमी…
उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी से करीब 35 किलोमीटर दूर है बिर्थी जलप्रपात. अल्मोड़ा-मुनस्यारी मार्ग के रास्ते में पड़ने…
पहाड़ और मेरा जीवन – 37 (पिछली कड़ी: पहाड़ और मेरा जीवन – 36 :पहाड़ ने पुकारा तो मैं सहरा…
जब मैं पहली बार शहर के स्कूल पहुँचा सन 1955 तक मैंने गाँव के स्कूल में पढ़ा जो चारों ओर…
भगवान मूल नारायण ने अपने दोनों पुत्रों बज्यैण और नौलिंग को अपने से समान दूरी पर भनार और सनगाड़ भेजा…