अमित श्रीवास्तव

एआई को चौथी औद्योगिक क्रान्ति कहा जानाएआई को चौथी औद्योगिक क्रान्ति कहा जाना

एआई को चौथी औद्योगिक क्रान्ति कहा जाना

‘बेथ शैलोम’ संस्था की संस्थापक मरीना स्मिथ की पिछले बरस यानी दो हज़ार बाईस के जून महीने में मृत्यु हो…

2 years ago
अगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यहीअगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही

अगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही

सुना करते थे वह बाग़ पुरफ़िज़ा है यहीअगर पहाड़ हैं जिन्नत तो रास्ता है यही हम वक्त के उस दौर…

2 years ago
हैं बिखरे रंग माज़ी केहैं बिखरे रंग माज़ी के

हैं बिखरे रंग माज़ी के

उस तरफ विपुल की आवाज़ थी. इस तरफ फोन के जाने कौन था. तब तक, जब तक मैं नहीं था!…

3 years ago
लपूझन्ना जादू है!लपूझन्ना जादू है!

लपूझन्ना जादू है!

किताब उठाते ही लगता है किसी जादूगर ने काले लंबे हैट में हाथ डालकर एक कबूतर निकाल दिया हो. किताब…

3 years ago
हलाल और झटका का झगड़ा इस तरह निपटाया नेताजी ने आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों के बीचहलाल और झटका का झगड़ा इस तरह निपटाया नेताजी ने आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों के बीच

हलाल और झटका का झगड़ा इस तरह निपटाया नेताजी ने आज़ाद हिंद फ़ौज के सैनिकों के बीच

उनकी उम्र के बारे में ठीक-ठीक कुछ कहना मुश्किल है. गाँव के खांटी किसान. कद-काठी-काया ऐसी कि इस तरफ से…

3 years ago
ललित मोहन रयाल का नया उपन्यास ‘चाकरी चतुरंग’ललित मोहन रयाल का नया उपन्यास ‘चाकरी चतुरंग’

ललित मोहन रयाल का नया उपन्यास ‘चाकरी चतुरंग’

व्यावहारिक- सामाजिक सन्दर्भों में 'व्यवस्था' का दृश्य-अदृश्य जितना व्यापक प्रभाव है साहित्यिक-सामाजिक विमर्श में ये उतना ही सामान्यीकृत पद है.…

3 years ago
वकील साहब आज भी कोई दलील नहीं सुनते!वकील साहब आज भी कोई दलील नहीं सुनते!

वकील साहब आज भी कोई दलील नहीं सुनते!

'आज फिर उधार करना पड़ा बेटा'... उनकी आवाज़ में कुछ बूँदें थीं. फोन पर एक घरघराहट थी जो निस्संदेह फोन…

3 years ago
कहानी : बयान इक़बालियाकहानी : बयान इक़बालिया

कहानी : बयान इक़बालिया

'इसे क्या हुआ है इतना गुमसुम क्यों है' चौकी इंचार्ज साहब ने दस मिनट बाद ही पूछ लिया. (Bayan Iqbaliya)…

3 years ago
सरदार उधम: आर्ट और विचार का ऐसा मेल कम ही देखने को मिलता हैसरदार उधम: आर्ट और विचार का ऐसा मेल कम ही देखने को मिलता है

सरदार उधम: आर्ट और विचार का ऐसा मेल कम ही देखने को मिलता है

कोई ज़िंदा है...?  इन तीन शब्दों का नाद बहुत देर तक ज़ेहन में होता है... होना चाहिए भी क्योंकि ये…

3 years ago
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों मेंबहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में

बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में

बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर…

3 years ago