सभी जानते हैं मनुष्य जाति द्वारा लोहे का इस्तेमाल किये जाने से पहले प्रस्तर युग और कांस्य युग थे. यही कारण था कि जहाँ शुरुआती धार्मिक अनुष्ठानों में लोहे के प्रयोग को वर्जित माना जाता था वहीं प्रेतों और बुरी आत्माओं को दूर भगाने में इसे बहुत प्रभावी समझा गया. यह माना गया कि प्रेतों और बुरी आत्माओं को धातु पसंद नहीं होती इसलिए वे उनके द्वारा सुरक्षित व्यक्तियों के नजदीक नहीं आतीं. Superstitions about Iron E S Oakley
अस्तबलों के दरवाजों पर लोहे की नाल टांगना एक पुरानी परम्परा है. स्कॉटलैंड मवन परंपरा थी कि मक्खन, पनीर और मांस में लोहे की कीलें या सलाइयां धंसा कर राखी जाती थीं ताकि “मृत्यु” उनके भीतर प्रवेश न कर सके. Superstitions about Iron E S Oakley
अनेक उत्तरी यूरोपीय देशों में माना जाता था कि परियां लोहे से डरती हैं. यह भी जनमानस का विश्वास था कि बच्चे के पालने में लोहे की कोई भी चीज रख देने से उसके आसपास एक सुरक्षा कवच बन जाता है.
लोहे को लेकर ठीक यही धारणाएं कुमाऊँ में भी व्याप्त हैं. माना जाता है कि बुखार वगैरह से पीड़ित व्यक्ति के सिरहाने लोहे का कोई हथियार जैसे चाकू या दरांती रखने से बुरी आत्माएं दूर चली जाती हैं. पुराने लोग अपनी जेब में सुरक्षा-कवच के रूप में लोहे का छोटा चाकू जरूर रखते थे. रात के समय यदि किसी बच्चे को एक घर से दूसरे घर में ले जाया जाना होता या उसे किसी समूह के साथ यात्रा करनी होती तो उस पर बुरी चीजों का साया न पड़ने देने की गरज से एक चाकू अवश्य ले जाया जाता था.
बच्चे के जन्म के बाद उस नवजात के सोने के कमरे में भी लोहे का कोई औजार रखा जाता था. इस सब के लिए यह तर्क दिया जाता था कि जब किसी महान पर्व के मौके पर वैदिक मन्त्रों के पाठ के परिणामस्वरूप लोहे के छोड़कर सभी चीजों ने गलना शुरू कर दिया. इस प्रकार यह मान्यता बनी कि लोहा दैवीय प्रभाव का अनुगामी नहीं होता. त्वचा की बीमारियों वगैरह के इलाज के लिए बच्चों की त्वचा को गरम लोहे से भेदे जाने की पुरानी प्रथा भी संभवतः इसी वजह से इस्तेमाल में आई होगी. Superstitions about Iron E S Oakley
(जर्नल ऑफ़ द यूनाइटेड प्रोविंसेज हिस्टोरिकल सोसायटी के सितम्बर 1917 के अंक में छपे रेवरेंड ई. शर्मन ओकले के लेख ‘द फोकलोर ऑफ़ कुमाऊँ’ के आधार पर तैयार आलेख)
ई. शर्मन ओकले से सम्बंधित यह लिंक्स भी देखें: एक लड़की और उसका पति जो सर्प था – कुमाऊनी लोककथा प्रेत और उसका बेटा – कुमाऊनी लोककथा मूसा सौन और पंचू ठग की कुमाऊनी लोककथा बहादुर पहाड़ी बेटा और दुष्ट राक्षसी की कथा
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
यह भी पढ़ें: कुमाऊं का एक राजा जिसके खिलाफ रसोई दरोगा और राजचेली ने षडयंत्र रचा
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…