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कोसी नदी ‘कौशिकी’ की कहानी

इस पहाड़ से निकल उस पहाड़
कभी गुमसुम सी कभी दहाड़
यूं गिरते-उठते, चलते मिल समंदर से जाती है
हर नदी अपनी मंजिल यूं ही तो पाती है.

जिस प्रकार शरीर में धमनियां हैं, ठीक उसी प्रकार प्रकृति में नदियों का महत्व है. धमनियां रक्त वाहिकाएं हैं जो दिल से निकलकर, पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त वितरित करती हैं ठीक उसी प्रकार कुछ नदियों का उद्भव हिमालय पर्वत श्रेणी से होता है और पानी का स्रोत बन यह नदियां जगह-जगह पानी पहुंचाती हैं. नदी और धमनी दोनों में धारा होती है जो पानी और खून को आगे बढ़ाने में मदद करती है. (Story of Kosi River ‘Kaushiki’)

हिंदू पौराणिक कथाओं में नदियों को माता के रूप में दर्शाया गया है आज भी भारत में नदियां, पूजा-पाठ एवं धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है. सभ्यता और संस्कृति के विकास में विभिन्न नदियों की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारत में कुल 4000 से भी अधिक नदियां हैं और यह नदियां भारत के विभिन्न भागों में बहती हैं.

कोसी नदी उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी है. स्कंद पुराण के मानस-खंड में कोसी नदी का उल्लेख कौशिकी नाम से हुआ है.

कोसी नदी कौसानी के पास धारा पानी धार से निकलती है और दक्षिण की ओर बढ़ते हुए, सोमेश्वर, अल्मोड़ा, खैरना, गरमपानी, बेतालघाट, सल्ट और ढिकुली से गुज़र कर, रामनगर के मैदानी इलाके में प्रवेश करती है.

रामनगर से 110 किलोमीटर की यात्रा कर यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और वही रामपुर जिले में कोसी रामगंगा नदी से मिलती है. कोसी नदी की कुल लंबाई 168 किलोमीटर है.

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रामनगर में, कोसी नदी जिम कॉर्बेट पार्क के अंदर से गुजरती है और उद्यान के परिवेश को जल और ऑक्सीजन से समृद्ध करती है तथा जल चक्र को बनाए रखने में मदद भी करती है. उद्यान के जीव-जंतुओं के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने के साथ साथ कॉर्बेट उद्यान के परिवेश में भोजन श्रृंखला को बनाए रखने में भी कोसी नदी का योगदान है तथा उद्यान के परिवेश में पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी कोसी मदद करती है.

इस प्रकार कोसी नदी जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के परिवेश से जुड़ी है और उद्यान के जीव-जंतुओं के लिए जल, भोजन, और पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है.

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अपने पूरे प्रभाव के दौरान नदियां मनुष्य तथा पशु पक्षियों को कई संसाधन प्रदान करती है जैसे जल की आपूर्ति के लिए पानी, पोषण-नदियाँ जल, मछली और अन्य जलीय जीवन के माध्यम से लोगों को पोषण प्रदान करती हैं,

संरक्षण- नदियाँ अपने किनारे बसे लोगों तथा जल जीवों को सुरक्षा प्रदान करती हैं और उनकी रक्षा करती हैं, नदियों को पवित्र माना जाता है और उन्हें आध्यात्मिक शुद्धिकरण के लिए भी उपयोग किया जाता है.

रामनगर की रहने वाली वेणु वृंदा जी. बी. पंत यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर में कम्युनिटी साइंस की छात्रा हैं.

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Sudhir Kumar

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