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साल के सबसे लम्बे दिन में होने वाला सूर्यग्रहण और उससे जुड़ी भ्रांतियां

सूर्य ऊर्जा और प्रकाश का एक विशालकाय स्रोत है और धरती पर हमारे अस्तित्व को सहजे हुए हैं. खगोलीय घटनाएं हमेशा से हम पृथ्वीवासियों को अनायास ही अपनी ओर आकर्षित करती रही है. इसी श्रंखला में हमें अपनी ओर खींचता चला आ रहा है 21 जून 2020 को घटित होने वाला सूर्य ग्रहण.
(Solar Eclipse and its Misconceptions)

क्या है सूर्यग्रहण?

जब चंद्रमा, धरती और सूर्य के बीच में आकर सूर्य को पूर्णतया या आंशिक रुप से ढक लेता है इस परिघटना को सूर्यग्रहण कहते हैं. चंद्रमा जब सूर्य को आंशिक रुप से ढक लेता है तब आंशिक सूर्यग्रहण होता है और जब यह सूर्य को पूर्णतया ढक कर उसके प्रकाश को धरती पर आने से रोक देता है तब हम उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं. चंद्रमा के सूर्य को ढकने की स्थिति में चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पडती है और धरती के घूमने के साथ यह छाया एक मार्ग प्रदान करती है. विश्व के जिस हिस्से से होकर यह मार्ग गुजरता है वहाँ से दिन में रात का अनुभव किया जा सकता है. दिन के उजाले में कुछ समय के लिए पूर्णतः अंधेरे का अनुभव करना एक रोमांचक घटना होती है.

रोमांचक तथ्य

चंद्रमा का आकार सूर्य के आकार से लगभग 400 गुना छोटा है. फिर भी सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को पूर्णतया ढक लेता है. हम जानते हैं कि जब कोई वस्तु धरती के पास होती है तो वह आकार में दूर स्थ्ति वस्तु की तुलना में बडी दिखाई देती है. इसी तरह चंद्रमा सूर्य की तुलना में लगभग 400 गुना पास है. इसलिए धरती से देखने पर सूर्य और चंद्रमा का आकार समान दिखाई पडता है. सूर्यग्रहण की घटना वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है. चंद्रमा से ढक दिए जाने पर सूर्य की सबसे बाहरी परत जिसे कोरोना कहते हैं, प्रकाशित दिखती है. कोरोना में होने वाली विभिन्न परिघटनाओं के अध्ययन के लिए सूर्यग्रहण वैज्ञानिक दृष्टि से लाभकारी है.
(Solar Eclipse and its Misconceptions)

भ्रांतियां

सूर्यग्रहण एक खगोलीय परिघटना है परंतु इससे जुडी कई भ्रांतियां हमारे समाज में व्याप्त हैं. सूर्यग्रहण के समय खाने पीने या यात्रा करने में कोई हानि नहीं है. पूरे विश्व में फैली हुई महामारी कोविड19 के सूर्यग्रहण से जुडाव के कई मिथक समाज में भ्रम की स्थिति फैला रहे हैं. परन्तु सूर्यग्रहण का इन सब पर कोई प्रभाव नहीं होता. हमें समझना होगा कि सूर्यग्रहण का हमारे दैनिक दिनचर्या पर किसी भी तरह का प्रभाव अथवा दुष्प्रभाव नहीं होता बल्कि हमें एक उचित चश्में की मदद से सूर्यग्रहण का अवलोकन करना चाहिये जो कि विज्ञान की एक बहुआयामी शाखा है. याद रहे साधारण लेंस, नंगी आंखों या एक्स-रे शीट से सीधा सूर्य को देखने पर हमारी आंखों को नुकसान पहुंचता है. अतः उचित चश्मे की मदद से ही सूर्य की ओर देखें.

21 जून (जो कि साल का सबसे लंबा दिन भी है) को होने वाला आंशिक सूर्यग्रहण देश के कई भागों से दृश्य होगा. सूर्य के किनारों से निकलने वाला प्रकाश आग के एक गोले जिसे रिंग ऑफ़ फायर भी कहते हैं, की तरह दिखाई देगा. उचित सोलर फिल्टर युक्त दूरबीन, पिन होल कैमरा या ग्रहण को देखने का उचित चश्मा जो भी उपलब्ध हो, उस की मदद से 21 जून 2020 को घटित होने वाले सूर्य ग्रहण का अवलोकन करने के लिए तैयार रहें. पिन होल कैमरा आसानी से घर पर बनाया जा सकता हैं.
(Solar Eclipse and its Misconceptions)

रीतिका जोशी

रीतिका, सूर्य और सौर्य गतिविधियों एवं उनके अन्तरिक्ष मौसम पर प्रभाव, विषय में डीएसबी कैम्पस कुमाऊँ यूनिवर्सिटी, नैनीताल से पीएचडी कर रही हैं.

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