सिसूण का साग और कापा उत्तराखण्ड के दुर्गम क्षेत्रों में आज भी बनाया और खाया जाता है. हालांकि बीते दिनों के उत्तराखंडी भोजन का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा सिसूण भोजनथाल से गायब सा हो गया था. लेकिन इसके पौष्टिक और औषधीय गुणों ने दोबारा से इसे लोकप्रिय बनाना शुरू कर दिया है. (Sisun Soup Nettle Soup)
एक चमत्कारी पौधा सिसूण, कनाली उर्फ़ बिच्छू घास
सिसूण की कोमल पत्तियों से ही एक अन्य व्यंजन भी तैयार किया जाता है— सिसूण का सूप.
सिसूण का सूप सिसूण (बिच्छू घास) की कांटेदार पत्तियों से तैयार किया जाता है. यह गुजरे वक्त में उत्तराखण्ड के पहाड़ी इलाकों में चाव से पिया जाने वाला पेय था. इसे बसंत से लेकर गर्मियों की शुरुआत के मौसम में बनाया और पिया जाना श्रेयकर है. इस दौरान सिसूण की झाड़ियों में हरी, कमसिन पत्तियां लगा करती हैं.
सिसूण का सूप भारत के पहाड़ी राज्यों के अलावा नेपाल, भूटान, ईरान, आयरलैंड, पूर्वी यूरोप और स्केंडिनेवियाई देशों में बहुत लोकप्रिय है. अंग्रेजी में इसे नेटल सूप (Nettle Soup) के नाम से जाना जाता है. इसे बनाने का तरीका और इसमें डाले जाने वाले तत्व देश-काल के हिसाब से बदलते रहते हैं.
सिसूण के सूप में कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन, सोडियम के साथ विटामिन ए, के, सी, बी और डी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
इसे बनाना भी बहुत आसान है. घर में उपलब्ध मसालों से बहुत कम समय में इसे तैयार किया जा सकता है. एक चौड़े भगौने में थोड़ा सा तेल गर्म करें और उसमें मक्खन डाल दें. अब बारीक कटे हुए प्याज, आलू, टमाटर और गाजर और हरा प्याज भी इसमें डाल दें. सब्जियों के मुलायम हो जाने के बाद इसमें पानी मिला दें. अब इसे 10 मिनट तक माध्यम आंच में पकने के लिए छोड़ दें.
तैयार सब्जियों में सीसूण की पत्तियां डालें. 5 मिनट पकाने के बाद इसे ब्लेंड करें.
तैयार घोल को मोटी छन्नी से छान लें. अब इसे दोबारा भगौने में चढ़ाकर इसमें स्वादानुसार काली मिर्च, नमक, तिमूर का पाउडर डालें.
सिसूण का सूप तैयार है. इसे सूप बाउल में डालकर ऊपर से थोड़ा मक्खन और क्रीम डाल दें. ऊपर से सूखी हुई सिसूण की पत्तियों से सजाकर परोसें. या फिर पुदीने की पत्तियों से गार्निश करें.
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