पिथौरागढ़ जिले के बीच में एक मैदान है दुनिया इसे देवसिंह फील्ड नाम से जानती है. दुनिया जानती है इसलिये कहा जा रहा है क्योंकि इस फील्ड ने अंतराष्ट्रीय स्तर के न जाने कितने खिलाड़ी दिये हैं और सबने बड़े-बड़े मंचों पर इस फील्ड का जिक्र किया है. Sharadotsav Pithoragarh 2019
इस फील्ड से पिथौरागढ़ जिले के फुटबाल टूर्नामेंट का स्वर्णिम इतिहास जुड़ा है. हाल के वर्षों में जब यहां राष्ट्रीय स्तर के फुटबाल टूर्नामेंट हुये तो यहां के लोगों के फुटबाल को लेकर जूनून की चर्चा देशभर में हुई थी. इस फील्ड का नाश करने एकबार फिर वापसी हुई है शरदोत्सव की.
इस मैदान पर पहला गैर खेल कार्यक्रम 1950 का बताया जाता है. कहा जाता है कि 1950 में जब तत्कालीन सेनाध्यक्ष व फील्ड मार्शल कैरीअप्पा पिथौरागढ़ आये तो इसी मैदान पर उनका भव्य स्वागत हुआ. शरदोत्सव नाम का कार्यक्रम इस मैदान से 1962 से शुरू बताया जाता है.
पिथौरागढ़ में शरदोत्सव हर साल वर्षों से देवसिंह फील्ड में ही होता है. हर साल स्थानीय खिलाड़ी मेहनत से घास उगाते आये हैं और हर साल शरदोत्सव, मैदान में गड्डे खोद कर चलता बना है.
जैसे-जैसे समाज शिक्षित होता है तो खेल जैसी चीजों को गैर-जरुरी से जरुरी श्रेणी में सरकाया जाता है. करीब 2010 से इस बात का लगातार विरोध किया जाने लगा कि देवसिंह फील्ड में गैर-खेल कार्यक्रमों का आयोजन न किया जाय.
शहर भर के संस्कृतिकर्मियों का दावा है कि शरदोत्सव ने इस शहर को बड़े-बड़े रंगकर्मी दिये हैं. यह दावा सही भी है. एक छोटे से शहर में ऐसे आयोजन बेहद जरूरी होते हैं. ये केवल संस्कृतिकर्मियों को अपनी प्रतिभा को दिखाने और निहारने का ही एक मौका नहीं है बल्कि एक समय तक ऐसे आयोजन इन कलाकारों के अपनी प्रतिभा को दिखाने का एकमात्र मंच हुआ करते थे. इसके साथ ही यह सीमांत के कुछ लोगों को रोजगार का अवसर भी देते हैं.
जिस तरह से 1962 में किसान एवं विकास प्रदर्शनी नाम से शरदोत्सव की शुरुआत हुई उसमें स्थानीय लोगों को रोजगार की पूरी संभावना है लेकिन क्या आज के दिन यह सच है. क्या आज भी शरदोत्सव स्थानीय कलाकारों को मंच देने का एकमात्र साधन है? क्या आज भी यह स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहा है?
फ़िलहाल अगर आप इस साल के शरदोत्सव की बात करेंगे तो देव सिंह फील्ड में लाल किला खड़ा है जिसके अंदर घुसने के लिये 20 रुपया शुल्क है. इस शुल्क ने ही पहला सवाल खड़ा किया है शरदोत्सव के आयोजन पर. जब आयोजन शहर वालों के टैक्स से उनके लिए आयोजन किया जा रहा है तो शुल्क कैसा?
दूसरा सवाल यह है कि जब 2014 में यह तय हो चुका है कि इस मैदान में खेल के अतिरिक्त को अन्य कार्यक्रम का आयोजन नहीं होगा तो किसकी अनुमति पर पिछले वर्ष हरे-भरे देवसिंह मैदान में बसंतोत्सव आयोजित किया गया, किसकी अनुमति इस बीच हुए गैरखेल कार्यक्रमों का आयोजन इस मैदान में हुआ.
तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि जब 2017 में जब तमाम विरोधों के बाद भी देवसिंह मैदान में शरदोत्सव किये जाने की बात की गयी थी तब देवसिंह मैदान में घास के लिए और गड्डे भरने के लिये दस लाख के बजट की बात भी नगरपालिका की ओर से की गई थी. यह धन अगर आवंटित हुआ है तो इससे घास जरुर लगी होगी. जब एकबार सरकारी पैसों से घास लगाई है तो अब उसे रौदने का क्या मतलब है.
कुछ दिन पहले देवसिंह फील्ड में खेलकूद के अलावा मेले व विकास प्रदर्शनी लगाने के विरोध में सभासदों द्वारा दायर जनहित याचिका में कोर्ट ने इस मैदान में खेलकूद के अलावा अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी है. Sharadotsav Pithoragarh 2019
-काफल ट्री डेस्क
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Jaruri hai hona vha klig khus h.
Kya kharab hota pahale se kh aisa h vo vesa he rahega
आपकी जानकारी ठीक करने के लिए बताना चाहता हूँ कि देव सिंह फिल्ड में लगे मेले में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं रखा गया है।कृपया आफवाहों से दूर रहते हुए धरातल की जानकारी प्राप्त करें।