“आप भी लिखते हो?” बाबूजी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए मुझसे कहा, जब मैंने उनको बताया कि मैं लिखता हूँ. मैं उनके सामने टेबिल के उस पार बैठा था. “हमारे साहब को पढ़ा है कभी?” उन्होंने पूछा.
(Satire by Priy Abhishek July 2021)
“जी पढ़ा है, थोड़ा सा.”
“साहब को पढिये! उनके जैसा कोई नहीं लिखता. बहुत शानदार लेखक हैं. भाषा तो ऐसी है, मतलब एक नम्बर.”
“जी ज़रूर पढूँगा. वो फ़ाइल…”
“फ़ाइल साहब की टेबल पर रखी है. अब नियमों में ही कोई प्रावधान नहीं है तो साहब भी क्या करेंगे?”
“नियमों में तो शायद….”
“….आपने साहब की नयी किताब पढ़ी? नहीं पढी तो देख लेंगे!”
“जी मतलब?”
“अरे उनके नये व्यंग्य संग्रह का नाम है- नहीं पढी, तो देख लेंगे. क्या व्यंग्य लिखे हैं उन्होंने?”
“जी ऑन-लाइन मिल जाएगी क्या?”
“ऑनलाइन की क्या ज़रुरत है? दस बारह तो मेरे पास ही रखी हैं. आप दस ले जाना. अपने दोस्तों को भी पढ़वाना.”
“कुछ हो सकता है मेरे काम….”
“…. अच्छा लेखक बनना है तो साहब को पढ़ो. बड़े-बड़े सीएस-पीएस, डीजी-एडीजी भी साहब की किताबें…”
“साहब बुला रहे हैं.” चपरासी ने आकर कहा. बाबूजी साहब से मिलने चले गए.
(Satire by Priy Abhishek July 2021)
लौट कर आये और कुर्सी पर बैठ गए. सांस कुछ तेज चल रही थी.
“जी कहिये? क्या काम है? किससे मिलना है?” मुझे देख कर बोले.
“अरे आप भूल गए? वो फ़ाइल .. आप साहब के लेखन की तारीफ़ कर रहे थे.”
”एक नम्बर का वाहियाद राइटर है. दो कौड़ी का. चोर. साले को कुछ लिखना-विखना आता नहीं आता. मैं बता रहा हूँ एक लाइन ढंग से बिना गलती के लिख के बता दे तो जानूँ! बस किताबें पेलता रहेगा.” फिर बाबूजी ने उठ कर अलमारी खोली, “ये पचास किताबें मेरे मत्थे मड़ दी हैं.”
“आप भूल गए. मैंने बताया था कि थोड़ा बहुत तो मैं भी लिखता हूँ. पर साहब जैसा नहीं.”
“अरे आप उससे बहुत बढ़िया लिखते हो. वो तो गधा है. आप बढ़िया-बढ़िया लिखते रहो.”
“वो रूल्स नहीं हैं, तो काम कैसे..”
“काहे के रूल्स नहीं है? सब रूल्स हैं! मैं देखता हूँ आपका काम कैसे नहीं करता. सब पोल-पट्टी जानता हूँ. और नहीं करे, तो जिनके किये हैं, उनकी नकल ले जाना मुझसे. मैं बताता हूँ इसको. आप बेफ़िकर हो कर जाओ.”
“ठीक है चलता हूँ.”
“ये दस किताब के तीन हज़ार रुपये हो गए.”
(Satire by Priy Abhishek July 2021)
मूलतः ग्वालियर से वास्ता रखने वाले प्रिय अभिषेक सोशल मीडिया पर अपने चुटीले लेखों और सुन्दर भाषा के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में भोपाल में कार्यरत हैं.
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
इसे भी पढ़ें : नियति निर्देशक की कारिस्तानी
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…