प्रिय अभिषेक

चटोरी न्यूज़ पर आज का विषय है- चटोराबाद में चाट की गिरती गुणवत्ता, जिम्मेदार कौन?

चटोरी न्यूज़ पर आज सभी पार्टियों की महिला नेता उपस्थित थीं. बहस राजनैतिक थी और सार्वजनिक भी. न्यूज़ चैनल की बहस थी, इसलिये सभी महिलाएँ अपने कैनाइन दांत और नाखून तेज करके आईं थी.
(Satire by Priy Abhishek 2021 September)

भारतीय चाट पार्टी से संस्कृति आंटी, वाम चाट पार्टी से मुक्ति आंटी, खाग्रेस से शांती आंटी और जमात-ए-चटनी से सलमा आपा मौजूद थीं.

न्यूज़ एंकर (टेम्परेरी) भोगीलाल जी ने शुरुआत करते हुए कहा, “आज का विषय है- चटोराबाद में चाट की गिरती गुणवत्ता, जिम्मेदार कौन?”

“ये सब इस सरकार का किया धरा है. चाइनीस और देसी चाट के नाम पर ये लोगों को बाँट रही हैं.” मुक्ति आंटी दहाड़ी. चिल्लपौं मचाने में मुक्ति आंटी का कोई मुक़ाबला नहीं था.

“ये सरासर झूठ है”- संस्कृति आंटी ने बात काटी और कुटिल मुस्कान बिखेरी- “वैसे आप को ‘चाइनीज़’ चाट की बड़ी चिंता है?”

“बात घुमाइये मत. हमें चाट की नहीं, चाटवालों की चिंता है. ये सरकार खू…”

अचानक स्टूडियो की लाइट चली गई. सब ओर सन्नाटा छा गया.

शांती आंटी ने ठंडी साँस भरते हुए कहा, “लो! लाइट चली गई. दूध फ्रिज़ में रख आई थी;खराब हो जायेगा.”
(Satire by Priy Abhishek 2021 September)

तभी सलमा आपा उछलीं, जैसे कुछ याद आ गया हो- “हे भगवान! गीज़र खुला रह गया. ‘ये’ नहा कर निकले थे तो बोले थे कि सलमा गीज़र बन्द कर देना.” फिर कुछ और याद आया तो ताली बजा के चीखीं- “अच्छा हुआ लाइट चली गई.” सब हँस दिये.

संस्कृति आंटी चिंतित होकर बोलीं, “अब भोगी बहस का टाइम बढ़ा देगा. इधर चुन्नू के स्कूल से आने का टाइम हो रहा है. अब किससे कहूँ कि बस तक चला जाए? वो तो खाना भी मेरे हाथ से ही खाता है.”

मुक्ति आंटी ने भी बताया की उनकी वृद्ध सास घर पर अकेली हैं और उन्हें दवाई देने का समय हो रहा है.

सलमा आपा ने भी फिर दिल खोला- “मैं तो राजनीति में थी ही नहीं ,सीट रिज़र्व हो गई तो पति ने चुनाव लड़वा दिया. भाई मुझसे नहीं होता. सुबह उठ के सारे काम करो, फिर कोई मीटिंग हो तो उसमें जाओ. मैं तो ‘इनसे’कहती हूँ कि तुम मुख़्तारनामा लिखवा लो. वैसे भी तो आदमी औरत का मुख़्तार बना घूम रहा है, हज़ारों साल से. और जब हमसे जायदाद, मुकदमे के मुख्तारनामे लिखवा सकते हो, तो विधायकी-मेम्बरी के भी लिखवा लो.”

शांती आंटी ने चुटकी ली- “क्यों न हम सब अपनी अलग पार्टी बना लें?” … सब थोड़ी देर के लिये मौन हो गये…

“नोss! मेरे हसबेंड तो बिल्कुल भी अलाऊ नही करेंगे, वो तो स्ट्रिक्ट लेफ्टिस्ट हैं.”

“यार मेरी ससुराल वाले भी खानदानी संघी हैं. वो भी कभी अनुमति नहीं देंगे.”

“मैं तो मज़ाक कर रही थी. मेरे तो परदादा भी खाग्रेस में थे. इमरजेंसी में भी नहीं छोड़ी तो मुझे कहाँ छोड़ने देंगे.”

अचानक ही लाइट आ गई…

“खून चूस रहे है ये सत्ताधारी भा च पा वाले” -मुक्ति आंटी चीखीं.

“शर्म आनी चाहिये इन विषयों पर राजनीति करते”- संस्कृति आंटी ने वापस जवाब दिया…
(Satire by Priy Abhishek 2021 September)

पिछला हिस्सा पढ़ें: चटोराबाद में मोहिनी से भेंट 

प्रिय अभिषेक

मूलतः ग्वालियर से वास्ता रखने वाले प्रिय अभिषेक सोशल मीडिया पर अपने चुटीले लेखों और सुन्दर भाषा के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में भोपाल में कार्यरत हैं.

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

इसे भी पढ़ें : प्रिय अभिषेक की ‘लग्गू कथा’ का दूसरा भाग

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

4 hours ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

4 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

4 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

4 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

4 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

4 days ago