सरकार जल्द ही सोन पापड़ी मिठाई संबंधी एक अध्यादेश जारी करने वाली है. अध्यादेश के मुताबिक दिवाली से ठीक तीन दिन पहले रात आठ बजे रिश्तेदारी के घरों की सतत यात्रा पर निकली सोन पापड़ी अब रिश्तेदारी में नहीं चलेगी. यह अध्यादेश सोन पापड़ी को लेकर जनता में व्याप्त तीव्र असंतोष को लेकर लाया जा रहा है. भुजियाघाट निवासी भोजनलाल ने बताया कि उनके घर की चीटियों तक ने सोन पापड़ी का त्याग कर दिया है.
पिछले चार सालों में सोन पापड़ी की इस गुप्त सतत यात्रा का राज खुलने को विपक्ष ने सरकार की नाकामी और लापरवाही बताया है. विपक्ष ने आरोप सीधा प्रधानमंत्री पर लगाया है. विपक्ष का कहना है कि गुजराती मिठाई होने के कारण प्रधानमंत्री गुप्त सोन पापड़ी यात्रा पर रोक लगा रहे हैं.
गुप्त सोन पापड़ी यात्रा की तुलना रिश्तेदारी संघ के अध्यक्ष भिवन लालजी ने नेपोलियन की ऐल्बा से पेरिस तक की यात्रा से की है. उन्होंने कहा है कि सरकार का यह फैसला मध्यमवर्ग विरोधी नीतियों का ही हिस्सा है. सरकार को इस फैसले की सूचना लोगों को कम से कम रक्षाबंधन से पहले तक दी जानी चाहिये थी ताकि वह सोन पापड़ी के डिब्बे किसी बेहद दूर के करीबी रिश्तेदार को सोन पापड़ी चिपकार अपना रसूख दिखा सकते.
नाम न बताने की शर्त पर सरकार के एक बेहद करीबी अधिकारी ने बताया है कि पिछले कुछ वर्षों में सोन पापड़ी भारतीय जनता के घर में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली मिठाई है. लेकिन बाजार में सन 2004 का स्टाक जस का तस है. सरकार ने जब एक उच्च स्तरीय जांच आयोग बैठाया तो पता चला कि सोन पापड़ी मिठाई नहीं एक चेपीय पदार्थ बन चुका है जिसे एक आदमी दूसरे को बस चेपता है.
दिल्ली के एक मशहूर कालेज के मशहूर प्राफेसर ने फोन पर दी जानकारी के अनुसार बताया कि सोन पापड़ी गुजरात में बनायी जाती है. बेसन से बनने वाली यह मिठाई हमेशा से ही कभी न खराब होने वाली मिठाई के रूप में जानी जाती है. हालांकि प्रोफेसर मशहूर ने बताया कि स्वाद में क्रंची और भार में हल्की होने के लिये नब्बे के दशक में मशहूर रही.
नाम न लिखे जाने की शर्त पर प्रोफ़ेसर मशहूर ने यह भी बताया कि इक्कीसवीं सदी के प्रारंभ में एक अन्तर्राष्ट्रीय कंपनी ने सोन पापड़ी पर हल्दी मलना शुरू किया और इक्कीसवीं सदी के पहले दशक तक यह कंपनी ऐसी हल्दी मल चुकी थी कि सोन पापड़ी का भुजिया हो गया. गंभीर रूप से पीली दिखने वाली और एक समय मोटे शीशे के पीछे टॉप सेल्फ पर रखी जाने वाली सोन पापड़ी के पतन का कारण प्रोफेसर मशहूर इसी अन्तराष्ट्रीय कंपनी की हल्दी को मानते हैं.
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