रिंगाल की राखी. यह कल्पना ही स्वयं में अद्भुत है. पहाड़ से जुड़ा कोई भी व्यक्ति के इसे सुनते ही रोमांचित हो जाएगा. इसे साकार किया है हिमालय में रहने वाली महिलाओं ने. इन महिलाओं का अपनी जमीन और पहाड़ से लगाव इस बात से ही पता चलता है कि उनकी राखी में इस्तेमाल किसी भी चीज से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचता है.
(Ringal Rakhi Pithoragarh)
पिथौरागढ़ मुख्यालय से कुछ दूरी पर रामगंगा के किनारे एक छोटी सी बसासत है मुवानी. पिछले कुछ वर्षों से उत्तरापथ सेवा संस्था नाम की एक छोटी सी संस्था यहाँ काम करती है. इस वर्ष 60 परिवारों की महिलाओं को जोड़कर संस्था ने राखी बनाई हैं.
राखी बनाने के लिये संस्था को नेशनल मिशन ऑफ़ हिमालय स्टडीज जीबी पन्त पर्यावरण विकास संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा द्वारा सहयोग किया गया है. रिंगाल से बनी इन राखियों को आकर्षक बनाने के लिये स्थानीय बीजों का उपयोग भी किया गया है. राखी बनाने के लिये रिंगाल मुनस्यारी के जैती गाँव से लाया गया है.
इससे पहले स्थानीय महिलाओं के सहयोग से उनके द्वारा अन्य साज सज्जा के सामान भी बनाये गये. राज्य सरकार के सहयोग से उनके द्वारा बनाये गये इन सामानों की बिक्री चारधाम यात्रा के पडावों में भी की जानी है. जिसमें पूजा की टोकरी, फूलदान, ट्रे, घड़ियां आदि शामिल हैं.
(Ringal Rakhi Pithoragarh)
काफल ट्री से बातचीत के दौरान संस्था के अध्यक्ष राजेन्द्र पन्त बताते हैं कि महिलाओं को आर्थिक रुप से सक्षम बनाने के लिये हम इस तरह के कार्यक्रम पिछले कुछ वर्षों से करते आ रहे हैं. हमने नाबार्ड जैसी संस्थाओं के सहयोग से हमने क्षेत्र में महिलाओं की आजीविका से जुड़े कार्यक्रम चलाये हैं. लॉकडाउन का हमने सकारात्मक उपयोग किया और महिलाओं को राखी बनाने की ट्रेनिग दी. हमारे पास राखी के बड़े आर्डर भी आये हैं. इस वर्ष हमने पिथौरागढ़ और इसके आसपास के क्षेत्र में राखी के आर्डर पूरे कर रहे हैं.
वह बताते हैं कि हमारे द्वारा बनाई गयी राखी इको फ्रेंडली राखी है. इस राखी में ऐसी किसी भी चीज का उपयोग नहीं किया गया है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता हो. हम आसपास के क्षेत्र की अन्य महिलाओं को भी ट्रेनिग देने की कोशिश कर रहे हैं.
(Ringal Rakhi Pithoragarh)
इन उत्पादों के लिये 8859804914, 9927711538 मोबाइल नंबर पर संपर्क किया जा सकता है. महिलाओं द्वारा बनाई गयी रिंगाल की राखी और अन्य उत्पादों की तस्वीरें देखिये : (सभी तस्वीरें परियोजना के समन्वयक पंकज कार्की ने भेजी हैं)
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