1960 के दशक के शुरुआती सालों तक अमेरिका के दक्षिणी प्रान्तों में रंगभेद जारी था. उत्तरी अमेरिकी प्रान्तों में स्थिति काफी बदल चुकी थी. इसी थीम को लेकर बनी है फिल्म ‘द ग्रीन बुक’ जिसे इस साल वर्ष की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का ऑस्कर मिला है.
एक अश्वेत शास्त्रीय संगीतकार डॉ. शर्ली को दक्षिणी अमेरिकी प्रान्तों में अनेक कंसर्ट्स की सीरीज में जाने के लिए एक ड्राइवर की आवश्यकता पड़ती है. उनकी ज़रूरत एक ऐसे ड्राइवर की है जो उनके इस टूर को किसी भी तरह पूरा करने में सहायता करे. उन दिनों दक्षिणी अमेरिकी प्रान्तों में यात्रा कर रहे अश्वेतों के लिए बाकायदा एक डायरेक्टरी बनाई गयी थी जिसमें उन सभी होटलों और रेस्तराओं के पते होते थे जहाँ उन्हें जाने की इजाजत हुआ करती थी. सो डॉ. शर्ली के ड्राइवर को भी एक ऐसी ही किताब दी जाती है.
फिल्म में डॉ. शर्ली और ड्राइवर टोनी की अविस्मरणीय भूमिकाएं निभाई हैं माहेर्शाला आली और विगो मोर्टनसन ने. फिल्म एक सच्चे घटनाक्रम पर आधारित है.
फिल्म की कथावास्तु के हिसाब से टोनी का काम है डॉ. शर्ली को उनकी दिखावटी ज़िंदगी और अतीव भावनात्मकता से निजात दिलाना जबकि शर्ली का काम है टोनी को उसकी रंगभेदी मनस्थिति और अज्ञान से निकालना. एक बिलकुल शुरुआती दृश्य में टोनी दो गिलासों को कूड़ेदान में फेंक देता है क्योंकि उसकी पत्नी ने उनमें घर आये दो अश्वेत कामगारों को शरबत पिलाया होता है. टोनी के डॉ. शर्ली से मिलते ही स्थितियां बदल जाती हैं. गरीब टोनी जब डॉ. शर्ली की चकाचौंध से रू-ब-रू होता है तो स्थितियां बदलना शुरू होती हैं.
दोनों की यात्रा दर्शक को भी अपने साथ एक यादगार यात्रा पर ले जाती है जिसके माध्यम से दर्शक इतिहास के एक अध्याय के अलावा स्वयं अपने आप को भी खोजता है.
पीटर फैरैली द्वारा निर्देशित इस फिल्म में रंगभेद, वर्गभेद के अलावा सेक्सुअलिटी को भी छुआ गया है. और एक से एक शानदार दृश्यों से फिल्म अटी हुई है.
वास्तविक जीवन में टोनी बाद में शो बिजनेस में चला गया था और 2013 में उसकी मृत्यु हुई थी. टोनी के सुपुत्र निक इस फिल्म के प्रोड्यूसर हैं. ‘ड्राइविंग मिस डेजी’ और ‘द अपसाइड’ जैसी क्लासिक फिल्मों नकी याद दिलाने वाली यह फिल्म बहुत बेहतरीन तरीके से बनाई गयी है और अली और मोर्टनसन ने इसमें ज़बरदस्त भूमिकाएं निभाई हैं.
अगर आप अच्छी फिल्मों के शौक़ीन हैं तो यह फिल्म आपने अवश्य देखनी चाहिए.
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