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रुढ़िवादी परम्पराओं को दरकिनार कर बेटी ने किया मां का श्राद्ध

हरिद्वार के हर की पैड़ी स्थित कुशा घाट में स्वतन्त्र लेखिका रही रीता खनका रौतेला का वार्षिक तिथि श्राद्ध उनकी बेटी हर्षिता रौतेला ‘बुलबुल’ ने किया. तीन साल तक कैंसर से लड़ने के बाद मई 2023 में लेखिका रीता खनका रौतेला का निधन उनके गृहनगर हल्द्वानी में हुआ था.

जीवन के आखिरी दिनों में वह हल्द्वानी के राजकीय सुशीला तिवारी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थी. आईसीयू में भर्ती रहने के दौरान ही उन्होंने देहदान का संकल्प लिया और अपनी मृत देह को हल्द्वानी के राजकीय मेडिकल कॉलेज को दे देने का संकल्प पत्र भरा. मृत्यु के बाद परिजनों ने रीता खनका रौतेला की अंतिम इच्छानुसार उनके पार्थिव शरीर को हल्द्वानी के मेडिकल कॉलेज को सौंप दिया.

रीता खनका रौतेला की मृत्यु के बाद रुढ़िवादी परम्पराओं को दरकिनार करते हुए उनके पति जगमोहन रौतेला ने अपनी एकमात्र संतान बिटिया हर्षिता रौतेला ‘बुलबुल’ से ही क्रिया के संस्कार सम्पन्न करवाए थे. उन्होंने कहा कि अब जब बेटियां हर काम में आगे हैं और वे सबसे कठिन माने जाने वाले कार्य लड़ाकू विमान तक उड़ा रही हैं तो माता-पिता की मृत्यु के बाद होने वाले अंतिम क्रिया संस्कारों के अधिकार से बेटियों को वंचित नहीं किया जाना चाहिए.

रीता खनका रौतेला के वार्षिक श्राद्ध को बेटी हर्षिता रौतेला ने हरिद्वार के कुशा घाट में कूर्मांचल के उनके तीर्थ पुरोहित संजय भगत के दिशा-निर्देशन में पुरोहित गिरीश चन्द्र पंत ने सम्पन्न करवाया. भाजपा की प्रदेश मन्त्री मीरा रतूड़ी ने हर्षिता रौतेला ‘बुलबुल’ द्वारा अपनी मॉ रीता खनका रौतेला का वार्षिक श्राद्ध किए जाने को सामाजिक रुढ़ियों के खिलाफ एक उल्लेखनीय कदम बताते हुए इसकी सराहना की. श्राद्ध के अवसर पर स्व. रीता खनका रौतेला के पति जगमोहन रौतेला और उनके ससुर ध्यान सिंह रौतेला भी मौजूद थे.

काफल ट्री डेस्क

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