7 जून 1975. इंग्लैण्ड के एजबेस्टन में में हो रहे पहले क्रिकेट विश्व कप में खेल रही सबसे कम अनुभवी ईस्ट अफ्रीका की टीम का सामना बहुत दोयम दर्जे की मानी जाने वाली न्यूजीलैंड की टीम से लीग मैच में मुकाबला हुआ था. (Record Innings Glenn Turner)
ईस्ट अफ्रीका की यह टीम केन्या, युगांडा, तंजानिया और जाम्बिया के खिलाड़ियों से मिल कर बनी थी. इस टीम के बारे में कुछ दिलचस्प बातें जानना जरूरी है. टीम के ओपनर थे सैम वालूसिम्बी जो युगांडा के क्लब क्रिकेट में एक लेजेंड का दर्जा पा चुके थे. इस टीम में हैमिश मैकलाउड विकेकीपर थे जो ग्लेमोर्गन काउंटी से खेल चुके थे. इंग्लैण्ड के ख्यात आलराउंडर डेरेक प्रिंगल के 43-वर्षीय पिता डॉन प्रिंगल भी इस टीम का हिस्सा थे अलबत्ता उन्होंने इस मैच में हिस्सा नहीं लिया.
मैच की पहली गेंद फेंकने वाले जॉन नागेन्दा बेल्जियम में जन्मे थे और उन्हें हॉर्स-रेसिंग का चस्का था बाद में उन्होंने ‘द क्लब क्रिकेटर’ नाम से एक पत्रिका का सम्पादन भी किया.
इसके अलावा टीम के अधिकतर खिलाड़ी एशियाई मूल के थे. इनमें सबसे बड़ा नाम था जवाहिर शाह का जिन्होंने भारत के 1967 के केन्या दौरे के दौराम भारत की टीम के दिग्गज स्पिनरों, बेदी और प्रसन्ना, के खिलाफ 137 रनों की लाजवाब पारी खेली थी. टीम के कप्तान थे हीरालाल शाह जो बाद में 1999 के विश्वकप के दौरान केन्या की टीम के मैनेजर रहे. श्रोपशायर काउंटी के लिए माइनर क्रिकेट खेलने वाले ऑफ स्पिनर रमेश सेठी भी टीम में थे.
गुजरात से वास्ता रखने वाले 42 वर्षीय प्रभु नाना ने इस मैच में न्यूजीलैंड के कप्तान ग्लेन टर्नर का कैच उस समय छोड़ा जब वे 16 पर थे. उसके तुरंत बाद इन्हीं प्रभु नाना ने अपनी ही गेंद पर दूसरे ओपनर जॉन मॉरिसन का कैच पकड़ा. नाना ने अपने 12 ओवरों में मात्र 34 रन दिए. यह अलग बात है कि टर्नर का कैच छोड़ना बहुत महँगा साबित हुआ और उन्होंने एक कच्ची टीम की अनुभवहीनता का भरपूर लाभ उठाया और बिना आउट हुए 171 रन बना डाले. कुल 201 गेंद खेल कर 16 चौकों और 2 छक्कों की सहायता से टर्नर ने यह स्कोर बनाया जिसकी बदौलत टीम का स्कोर 309 पहुंचा.
जवाब में ईस्ट अफ्रीका ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार भरपूर संघर्ष किया और पूरे साठ ओवर खेले अलबत्ता उनका स्कोर रहा 8 विकेट पर 128 रन. पाकिस्तानी मूल के खिलाड़ी फरासत अली ने 123 गेंदों में 45 रन बनाए और महमूद कुरैशी ने 88 गेंदों में 16. ईस्ट अफ्रीका को इस बात का श्रेय मिलना चाहिए कि उन्होंने बेहतरीन तेज गेंदबाज रिचर्ड हैडली को एक भी विकेट नहीं लेने दिया. यह अलग बात है कि हैडली के खिलाफ वे रन भी नहीं बना सके जिन्होंने 12-6-10-0 का बोलिंग एनालिसिस निकाला.
ग्लेन टर्नर की वह पारी वन डे इंटरनेशनल मैचों की सबसे बड़ी पारी बनी रही जब तक कि 1983 के विश्व कप में कपिल देव ने 175 रन बनाकर उनके रेकॉर्ड को ध्वस्त नहीं कर दिया. (Record Innings Glenn Turner)
टर्नर की फॉर्म यहीं ख़त्म नहीं हुई. एक सप्ताह बाद उन्होंने भारत के खिलाफ 114 रनों की पारी खेली और भारत को छः विकेट से हरा दिया. इस लिहाज से टर्नर को विश्वकप क्रिकेट के इतिहास का पहला ट्रेंडसेटर कहा जा सकता है.
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