समाज

रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली

सरयू और रामगंगा का संगम सोर घाटी और इससे लगे गावों के लिये सदियों से पवित्र रहा है. लोक में मान्यता है कि देव डंगरी को शरीर में देवता के अवतरण से पहले सरयू-रामगंगा के संगम में एकबार स्नान जरुर करना चाहिये. इस संगम पर स्थित है रामेश्वर का मंदिर. रामेश्वर, सोर, गंगोली ओर बारकोट के गाँवों का युगों से श्मशान, क्रिया स्थल, श्रद्धा स्थल और व्रतबन्ध स्थल रहा है. इसे यहां हरिद्वार की तरह तीर्थ की मान्यता प्राप्त है.
(Rameshwar Temple Pithoragarh)

कहते हैं कि रामेश्वर आदिकाल से ही राजाओं के अधीन न रहने वाला क्षेत्र है. स्कन्दपुराण में इस बात का जिक्र है कि अयोध्या के राजकुमारों की शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा के लिये ब्रह्मा के पुत्र वशिष्ठ का चयन किया गया. वशिष्ठ ने राजकुमारों की शिक्षा के लिये हिमालय की घाटियों का भ्रमण शुरु किया. तब उन्होंने सरयू और रामगंगा के इस संगम पर भगवान विष्णु के चरण चिन्ह मिले. यहीं उन्होंने वशिष्ठाश्रम की स्थापना की. भगवान राम और उनके भाइयों को शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा इसी संगम पर दी गयी.

वशिष्ठाश्रम का एक जिक्र महाभारत में भी मिलता है. इस कथा के अनुसार जब कन्नौज के राजा विश्वामित्र कैलाश यात्रा पर आये तो उन्हें वशिष्ठाश्रम की नंदिनी गाय पसंद आ गयी. उन्होंने वशिष्ठ से गाय ले जाने के लिये अनुरोध किया पर वशिष्ठ न माने. कहते हैं कि विश्वामित्र और वशिष्ठ के मध्य के युद्ध हुआ जिसमें स्थानीय खसों ने वशिष्ठ का साथ दिया और पत्थरों की बरसात कर विश्वामित्र की सेना को भगाया. इस युद्ध में विश्वामित्र जान बचाकर भागे और कोसी नदी के किनारे अपनी बहन सत्यवती के पास शरण ली. वशिष्ठाश्रम की इस गाय का जिक्र कालिदास ने भी किया है.
(Rameshwar Temple Pithoragarh)

1960 तक रामेश्वर कैलाश मानसरोवर यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव था. इस मंदिर में माघ के महीने महिलायें पूजा अर्चना करती है, भजन-कीर्तन करती हैं. दिन में एक बार भोजन, दो बार स्नान और बारह बजे तक कीर्तन का यहां पुराना रिवाज है. माघ पूर्णिमा के दिन ‘बमन्यू; की यहां पुरानी परम्परा है इस दिन यहां माघ मेले का आयोजन होता है.

रामेश्वर की व्यवस्था के लिए प्राचीन काल से ही ‘वैराज्य‘ (राजाओं को न मानने वाली) परम्परा की एक संस्था थी, जिसे ‘गुग्गुलि परिषद‘ कहा जाता था. ‘गुग्गुलि‘ का अर्थ  ‘प्रवर‘ है,  प्रत्येक कुल में तीन अथवा पाँच प्रवर की परम्परा रही है. ये ही मन्दिर समिति के सदस्य होते थे. मन्दिर समिति में 1960 ई. में बिशाड़ गाँव के भट्ट ब्राह्मण आचार्य, जीवी गाँव के कुमूपति चन्द्र कर्माधीश, मेलडुङरी के जोशी पुजारी तथा जाख चमडुङरा के गिरी लोग महंत का कार्य करते थे.
(Rameshwar Temple Pithoragarh)

फोटो: सागर वल्दिया

बिशाड़ गाँव के भट्ट बदरीनाथ के रावल की तरह विश्वामित्र गोत्रीय, यजुर्वेदी, माध्यन्दिन् शाखी (मध्यान्ह में भी स्नान करने वाले) तथा पुरुषसूक्त को मानने वाले वैष्णव हैं. ये पिथौरागढ़ नगर के समीप पाँच गाँवों में रहते हैं- बिशाड़, जाख का बड़गूं, पनेर भट्यूड़, तोली बाँस और कोटला. इनका मुख्य व्यवसाय रावल और वल्दिया पट्टी के जजमानों के लड़कों का रामेश्वर मन्दिर में व्रतबन्ध कराना, मन्दिर में श्रद्धालुओं की ओर से वेद का पाठ करना तथा मन्दिर में पूजा कराना था.
(Rameshwar Temple Pithoragarh)

संदर्भ: नैनीताल समाचार में प्रकाशित मदन चन्द्र भट्ट का लेख.

काफल ट्री डेस्क

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago