Featured

क्या बदल जायेंगे उत्तराखण्ड के सीएम

उत्तराखंड में राजनीति और अनिश्चिताओं का चोली दामन का साथ रहा है. केवल कांग्रेस के एनडी तिवारी ही ऐसे नेता हैं जो पूरे पांच साल सीएम रहे हैं. इसके अलावा आज राज्य में यह सौभाग्य किसी को भी नहीं मिला है. चाहे कांग्रेस हो या भाजपा समय-समय पर नेतृत्व परिवर्तन कर देना दोनों ही पार्टियों की फितरत रही है.

सीएम और पैरासीटामोल 650 एमजी

इस समय सूबे के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत मुश्किल दौर में है. डेंगू का प्रकोप और ऊपर से सीएम के अनर्गल बयानों ने राज्य में उनकी छवि को खासा नुकसान पहुंचाया है. खासतौर पर सोशल मीडिया में लोगों ने सीएम के बयान कि डेंगू से मत घबराओ केवल 650 एमजी की पैरासीटामोल खाओ और सही हो जाओगे. इस बयान के बाद विपक्ष ने उनकी सही से क्लास ली है. यह सही है कि डेंगू में पैरासीटामोल खाते हैं लेकिन केवल इसी दवा के भरोसे ही नहीं रहा जा सकता और जितना हल्के में डेंगू को सीएम रावत लेने के लिए कह रहे हैं यह उतनी मामूली बीमारी है भी नहीं. लापरवाही और इलाज में देरी होने पर मरीज की जान पर बन आती है. उत्तराखंड में भी अब तक कई लोग इस बीमारी से दम तोड़ चुके हैं. इसके अलावा जहां एक और राज्य में डेंगू का कहर चल रहा था वहीं दूसरी ओर सीएम रावत ने सरकारी इलाज महंगा कर दिया. जब उनकी किरकरी हुई तब उन्होंने इस निर्णय को संशोधित किया.

पंचायत चुनाव बनी मुश्किल परीक्षा

कानाफूसी यह है कि पंचायत चुनाव सीएम रावत के लिए परीक्षा की घड़ी है. इससे पहले लोकसभा चुनाव में उन्होंने परीक्षा पास की थी लेकिन यह सब जानते हैं कि राज्य की पांचों लोकसभा सीट भाजपा के खाते में जाने का एक मात्र कारण स्वयं पीएम नरेन्द्र मोदी रहे हैं. अब अगर पंचायत चुनाव में भाजपा मनमुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पायी तो सीएम रावत के विरोधियों को उन पर हावी होने का फिर से मौका मिल सकता है, साथ ही नेतृत्व परिवर्तन की संभावनाओं को और ज्यादा बल मिलेगा.

त्रिवेन्द्र रावत के बाद क्या

सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत को अगर जाना पड़ता है तो राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी सबसे बड़े दावेदार हैं. अनिल बलूनी ने पिछले दिनों राज्य की जनता और पार्टी में अपनी छवि को मजबूत किया है. इसके अलावा वह पीएम मोदी के भी काफी नजदीक हैं. फरवरी माह में जब सीएम ने उत्तराखंड का दौरा किया था तब बलूनी उन्हीं के साथ थे. इनके अलावा सांसद अजय भट्ट तीरथ सिंह रावत पर भी भाजपा दांव खेल सकती है. नेतृत्व परिवर्तन के इतिहास को देखते हुये संभावना है कि ऐसा हो भी सकता है.

हल्द्वानी में रहने वाले नरेन्द्र देव सिंह एक तेजतर्रार पत्रकार के तौर पर पहचान रखते हैं. उत्तराखंडी सरोकारों से  जुड़ा फेसबुक पेज ‘पहाड़ी फसक’ चलाने वाले नरेन्द्र इस समय उत्तराँचल दीप के लिए कार्य कर रहे हैं. विभिन्न मुद्दों पर इनकी कलम बेबाकी से चला करती है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago