उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ को एक अरसे से हवाई यात्रा के सपने दिखाये जाते हैं. इस जिले में हवा से ज्यादा हवाई जहाज अख़बार और नेताओं की जबान पर चला है. न जाने और कितने बार हवाई जहाज के स्वागत में छलिया नाचेंगे. दशकों से हवाई यात्रा के सपने देखने वाले पिथौरागढ़ के लोगों की हवाई निकालने में रोडवेज की बस सेवा ने भी अब कोई कमी नहीं छोड़ी है. हालत यह है कि पिथौरागढ़ डिपो की बसों में सफ़र के लिये टिकट के अतिरिक्त मजबूत जिगर अलग रखना पड़ता है.
(Pithoragarh Roadways Buses)
पिथौरागढ़ में आज भी एक बड़ी आबादी सफ़र के लिये रोडवेज और केमू की बसों पर निर्भर रहती है. दैनिक अख़बार अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार मैदानी क्षेत्रों लिये में 90 प्रतिशत आबादी रोडवेज की बस में सफ़र करती है.
अपनी रिपोर्ट में अमर उजाला पिथौरागढ़ डिपो की बस को खटारा बस लिखता है. लिखे भी क्यों न 62 बसों वाले पिथौरागढ़ डिपो के बेड़े में 43 बस पुराने मॉडल की हैं. आये दिन इनके ख़राब होने से लेकर ब्रेक फेल होने की खबर अख़बार में पढ़ने को मिलती हैं.
(Pithoragarh Roadways Buses)
यह बेहद आश्चर्य का विषय है कि 90 के दशक में पिथौरागढ़ रोडवेज डिपो में 92 बसें थी जो वर्तमान में घटकर 62 पर पहुंची है. इसके अतिरिक्त एक समय जिला मुख्यालय से जिले के सभी कस्बों के लिये रोडवेज की बसें चला करती थी इस सेवा में भी कटौती हुई और वर्तमान में धारचूला छोड़ किसी भी कस्बे के लिये रोडवेज की बस नहीं चलती.
दिल्ली, लखनऊ, हरिद्वार, देहरादून, बरेली आदि शहरों की लम्बी यात्रा के लिये अनेक यात्री बस का सफ़र पंसद करते हैं. पिथौरागढ़ रोडवेज डिपो के खस्ता हाल देखकर लगता है कि बरसों से हवाई यात्रा सुविधा की मांग कर रहे जिले के लोगों को अब सामान्य सी रोडवेज बसों के लिये आन्दोलन की राह न पकड़नी पड़ जाय.
(Pithoragarh Roadways Buses)
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…
उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…
(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…
पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…
“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…