हैडलाइन्स

पांच सालों से दो कमरों में चल रहा है उत्तराखंड का मुवानी महाविद्यालय

क्या आप कल्पना कर सकते हैं एक महाविद्यालय की जिसकी कक्षायें दो कमरे में चलती हों. ऐसा भी कहीं संभव है कि कालेज में 200 बच्चे पढ़ने वाले हों और परीक्षा देने के लिये इंटर कालेज जाते हों. संभव है उत्तराखंड सरकार है तो सब संभव है.

पिथौरागढ़ जिले में मुवानी कस्बे में एक महाविद्यालय है जो दो कमरे में चलता है. ऐसा नहीं है कि इस महाविद्यालय को बने साल दो साल हुये हैं. इस विद्यालय को बने पूरे पांच बरस हो चुके हैं लेकिन अभी भी 207 बच्चों का यह महाविद्यालय दो कमरों में चल रहा है. इस महाविद्यालय से दो बैच पास हो चुके हैं.

उत्तराखंड सरकार के इस विशाल महाविद्यालय में जमा पांच कमरे हैं जिसमें एक में कार्यालय, एक में स्टोर और एक में पुस्तकालय है. इस पुस्तकालय में कुल 800 किताबें हैं.

14 फरवरी 2014 को मुवानी में महाविद्यालय बनाने का एक शासनादेश पारित हुआ और छः महीने में ही एक सहकारी समिति के पांच कमरे के एक छोटे से भवन में यह महाविद्यालय परिसर इस वादे के साथ शुरु हुआ कि जल्द ही महाविद्यालय का अपना एक भवन होगा.

फोटो : हिन्दुस्तान लाइव से साभार

महाविद्यालय भवन के लिये जब सरकार ने जमीन का रोना रोया तो आस-पास के गांव वालों ने अपने बच्चों के भविष्य की खातिर 40 नाली जमीन उत्तराखंड शिक्षा विभाग के नाम कर दी लेकिन सरकार जमीन पर एक पत्थर न गड़ा सकी.

अब स्नातक होता है तीन बरस का महाविद्यालय में कमरे हैं दो. इसका मतलब हुआ कि पांच साल में कभी एक साथ तीनों साल के बच्चों की कक्षा एक साथ नहीं लगी होंगी. जो बच्चे यहां से पढ़े होंगे उन्होंने क्या पढ़ा होगा.

आज के दिन इस महाविद्यालय में कुल 207 छात्र छात्रा पढ़ते हैं. छत में एक टिन का कमरा बना है जिसमें बच्चों को पढ़ाया जाता है क्योंकि यह टिन का कमरा स्थानीय विधायक बिशन सिंह चुफाल की दया दृष्टि के कारण बना है इसलिये कमरे की टेबल कुर्सी में विधायक का नाम लिखा है. पिछले महीने ही में ख़बर आई है कि सरकार ने कार्यदायी संस्था को भवन निर्माण के लिये धन आवंटित कर दिया है.

टिन से बनी कक्षाओं में छात्र-छात्रा

पिथौरागढ़ शहर में चल रहे शिक्षक किताब आन्दोलन को बाहरी लोगों का आन्दोलन बताने वाले उच्च शिक्षा मंत्री ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा कि पिथौरागढ़ के कालेज में लाखों किताबें हैं वहां 102 शिक्षक हैं मुझे नहीं पता वहां कौन से शिक्षक और किताबों के लिये आन्दोलन कर रहे हैं.

-काफल ट्री डेस्क

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

हरियाली के पर्याय चाय बागान

चंपावत उत्तराखंड का एक छोटा सा नगर जो पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था और…

22 hours ago

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

4 weeks ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

4 weeks ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

1 month ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

1 month ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

1 month ago