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जिले के सबसे बड़े महिला अस्पताल में बच्चे के लिये ‘मोमबत्ती की लौ’ पर गर्म हो रहा है दूध

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. राज्य में हो रहे चुनाव प्रचारों में खूब वादे किये जा रहे हैं खूब दावे किये जा रहे हैं. राज्य बनने से लेकर अब राज्य में बारी बारी से भाजपा और कांग्रेस की सरकारें रही हैं. बीते 22 वर्षों में दोनों पार्टियों द्वारा मिलकर किये गये विकास का लेखा-जोखा यह तस्वीर दे रही है.(Pithoragarh Mahila Hospital Poor Condition)

फोटो: अमर उजाला अखबार से साभार.

यह तस्वीर उत्तराखंड के एक महत्वपूर्ण पहाड़ी जिले पिथौरागढ़ के सबसे बड़े महिला अस्पताल की है. तस्वीर में एक महिला अपने बच्चे को दूध पिला रही है. तस्वीर में देखा जा सकता है कि पिथौरागढ़ जिले के सबसे बड़े महिला अस्पताल में यह महिला बच्चे को मोमबत्ती की लौ में दूध गर्म कर पिला रही है. यह महिला नवजात बच्चे की तीमारदार है.
(Pithoragarh Mahila Hospital Poor Condition)

पिथौरागढ़ मुख्यालय में स्थित इस महिला अस्पताल में हर दिन चार से पांच सामान्य और एक से दो सिजेरियन प्रसव होते हैं. इस अस्पताल पर मुनस्यारी, धारचुला, बेरीनाग, नाचनी, झूलाघाट आदि दूरस्थ इलाकों के अतिरिक्त नेपाल और चम्पावत और अल्मोड़ा जिले के लोग भी निर्भर हैं.

नवजात बच्चे के लिये मौमबत्ती की लौ में दूध गर्म करती तीमारदार कि तस्वीर को अमर उजाला अखबार से प्रमुखता से छापा जिसके बाद पीएमएस जिला अस्पताल पिथौरागढ़ केसी भट्ट ने कहा कि मोमबत्ती के सहारे दूध गर्म करने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है. शीघ्र ही महिला अस्पताल में बच्चों के लिये दूध गर्म करने के लिये व्यवस्था की जायेगी. पहाड़ में स्थित इस जिला अस्पताल की यह दयनीय स्थिति तब है जब यह पूरे शहर के बीचों-बीच स्थित है और यहां की स्थानीय विधायक स्वयं एक महिला हैं.

पहाड़ में स्थित इस जिला अस्पताल की यह दयनीय स्थिति तब है जब यह पूरे शहर के बीचों-बीच स्थित है और पिथौरागढ़ जिले में दो विधायक स्वयं महिला हैं. महिला अस्पताल में सामान्य सुविधाओं का भी इस कदर कमी है पहाड़ के अन्य महिला अस्त्पतालों की तरह आज इस अस्पताल में भी नवजात बच्चे के जन्म डॉक्टर के बजाय भगवान भरोसे अधिक है. यह शर्मनाक है कि 22 वर्ष के बाद भी हम पहाड़ में मौजूद महिला अस्पतालों में जन्म लेने वाले नवजातों को स्वस्थ माहौल में जन्म लेने का मौलिक अधिकार मुहय्या नहीं करा पाये हैं.

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  • बहुत ही गंदा है यहां का hospital hai 13 जनवरी को मेरा बेटा हुआ पर एक भी डॉक्टर अस्पताल में मौजुद नहीं थें , nurse को तो पता ही नही था मेरे bacche को हुआ kya hai , और 16 जनवरी को मेरे बेटे को Haldwani को refer किया गया ,और इन 4 दिनों में एक भी senior doctor मौजूद नहीं थे ,पता करा तो सब के सब doctor holiday में गये थे , kya सभी doctor को एक साथ छुटी देना सही है , किस बात की salary मिल रही है इन को , मेरे साथ delivery room में भी कोई doctor मौजूद नहीं थे nurse ने ही मेरी delivery कराई ,इन सभी पर बडे़ से बडा़ action लेना बहुत जरूरी हे।

  • जूते खाने वाले काम हैं इन राज किए नेताओं के । सिर्फ इतना ही करना है ( कहना नहीं )

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