अपनी कविता में चंद्रकांत देवताले मां पर एक जगह लिखते हैं –
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चंद्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूँगा
माँ पर नहीं लिख सकता कविता!
मदर्स डे पर देखिये स्व. कमल जोशी द्वारा ली गई ये तस्वीरें. उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में बसी उत्तराखंड की इन महिलाओं के चेहरे में एक समानता है वह है कठिन परिश्रम भरे जीवन के बावजूद चेहरे पर एक मुस्कान.
खजुराहो की शिल्पकला की झलक है चम्पावत के बालेश्वर मंदिर में
स्वतन्त्रता संग्राम में सोर घाटी पिथौरागढ़ की गौरवशाली भूमिका
ये नरभक्षी सियासत का दौर है मेरे बच्चे, तुम कैसे निबाहोगे?
माँ होने का मतलब उस स्त्री से पूछना जो माँ नहीं होती
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पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…
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मात्र दिवस पर हम माँ के प्यार, दुलार और त्याग का स्मरण करते हैं । हे माता तुझको सत सत नमन ??
Ijaa ko pranaam !!!
माँ का कोई दिन नही होता बल्कि माँ से ही दिन बनता है ।