दिसंबर मध्य से हिमालय की निचली चोटियों पर बर्फबारी की शुरुआत हो जाती है. दो-एक दफा होने वाली इस बर्फ़बारी का लोग साल भर इन्तजार करते हैं और मौका बनते ही पहाड़ों की ओर दौड़ लगा देते हैं. कुमाऊं के मैदानी इलाकों और दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों से प्रकृति प्रेमी और सैलानी इस मौके पर नैनीताल की तरफ कूच करते हैं. नैनीताल एक जगह है जो सड़क और रेल मार्ग से कई शहरों के करीब है. बर्फ़बारी के दिन बहुत कम ही लोगों को इसे देखने का मौका मिलता है, क्योंकि यह एक ऐसी घटना है जिसका होना बहुत अनिश्चित है. बर्फ़बारी के बाद के दिनों में भी सैलानी बर्फ के बचे-खुचे टुकड़ों पर इतराते दीखते हैं. Photos of Snowfall from Mukteshwar
इन शहरों-कस्बों से नैनीताल जैसी ही दूरी पर कई जगहें और भी हैं जहाँ कुदरत अपनी नेमतें बरसाती है. इन पहाड़ियों पर कुदरत यूँ भी कम मेहरबान नहीं है लेकिन बर्फ की चादर इन्हें और ज्यादा दिलकश, दिल अज़ीज बना देती हैं. इन्हीं में से है मुक्तेश्वर. बर्फ़बारी के मौके पर भवाली से गागर, रामगढ़ होते हुए मुक्तेश्वर पहुंचकर और फिर कसियालेख, धानाचूली बैंड से धारी, पदमपुरी होते हुए इस क्षेत्र की परिक्रमा पूरी कर लें तो अपार प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर नज़ारे देखने को मिलते हैं. इस पूरे क्षेत्र को प्रकृति ने यूं भी भरपूर खूबसूरती बख्शी है बर्फ इसे और ज्यादा निखार देती है. यहां उत्तराखण्ड के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों से ज्यादा बर्फ गिरती है और ज्यादा दिनों तक टिकती भी है. यहां का ठेठ पहाड़ी जनजीवन और सीढ़ीदार खेत बर्फ की चादर ओढ़े खूब फबते हैं. घने जंगलों पर बसने वाले बर्फ के सफ़ेद फाहे मन मोह लेते हैं.
पिछले साल इसी परिक्रमा के दौरान ली गयी कुछ तस्वीरें.
सुधीर कुमार हल्द्वानी में रहते हैं. लम्बे समय तक मीडिया से जुड़े सुधीर पाक कला के भी जानकार हैं और इस कार्य को पेशे के तौर पर भी अपना चुके हैं. समाज के प्रत्येक पहलू पर उनकी बेबाक कलम चलती रही है. काफल ट्री टीम के अभिन्न सहयोगी.
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