कुछ जगहें आप के दिल के इतने करीब होती हैं, इतनी मनपसंद होती हैं कि बार-बार वहां जाने पर भी दिल नहीं भरता. बिनसर और बिनसर का जंगल भी कुछ ऐसी जगहों में से है जहां पिछले कई सालों से जा रहा हूं. हजारों फोटो इस जंगल के और यहां से दिखने वाले हिमालय की ले चुका हूं पर फिर भी हमेशा कुछ ऐसा होता है कि दिल हमेशा बिनसर की ओर मुड़ जाता है.
(Photos of Binsar 2022)
पिछले रविवार घर में बैठे मौसम को देखकर प्लान बना की घूमने चलते हैं. मेरा मन हो तो बिनसर जाने का रहा था पर दिमाग कह रहा था आज कहीं और जाया जाए. जागेश्वर फोन कर पता किया तो वहां बर्फ नहीं गिरी थी और हमें बर्फ की तलाश थी और हम चल पड़े बगैर किसी जगह का टारगेट किए.
कसारदेवी की ओर वहां पहुंच कर बिनसर की ओर देखा तो बादल लगे थे कोहरे के कारण कुछ साफ नजर नहीं आ रहा था. मुझे लगा थोड़ा आगे डीनापानी तक जाकर देखते हैं शायद कुछ नजर आ जाए. हम सब इंदु, अविरल, आयुष और मैं मन ही मन बिनसर में बर्फ की तमन्ना कर रहे थे. डीनापानी पहुंचते ही सबसे पहले आयुष बोला- वो देखो बर्फ. हमने देखा बिनसर का ऊपरी जंगल बर्फ से ढका है. हम सबकी आंखें चमक उठी वह दृश्य देखकर.
फिर क्या था अब तो बिनसर ही जाना था. लगभग आधे घण्टे में हम बिनसर के मंदिर वाले एरिया में थे. यहां बर्फ के फाहे गिर रहे थे. हम कुछ देर वहां रुक कर चल दिए. बिनसर के कुमाऊं मण्डल विकास निगम की ओर जहां बर्फ गिरी होने की पूरी उम्मीद थी. वहां पहुंचते ही बर्फ से ढके वातावरण से स्वागत हुआ. फोटोग्राफी शुरु हो गई और थोड़ी ही देर में हम चल पड़े बिनसर की पसंदीदा जगहों में से एक जीरो प्वाइंट की ओर.
जीरो प्वाइंट दरअसल बिनसर का टॉप है तो आप इसे बिनसर टॉप भी कह सकते हैं. इस टॉप की खासियत है इस तक पहुंचने का रास्ता जो आपको बिनसर के जंगल के दीदार कराता है. आपको अहसास कराता है जंगल में होने का और जंगल के होने का. इस रास्ते में चलना प्रकृति के पास एक रास्ता तय कर जाने जैसा ही है, जिसमें आप प्रकृति के साथ चल रहे होते हैं, मंजिल के पास मंजिल के साथ चलते हुए. उस पर अगर बर्फ गिरी हो तो रोमांच दोगुना हो जाता है.
(Photos of Binsar 2022)
हम सब इस जंगल और बर्फ के रोमांच को जीते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे और देखते जा रहे थे बर्फ से नहाए हुए बांज के पेड़ों को उस पर उगी मौस को जो बर्फ के साथ अदभुत लग रही थी. साथ में आते-जाते कोहरे से माहौल और उम्दा हो जा रहा था, बिनसर का कोहरा भी अलग ही है अपने आप में.
बर्फ बहुत ज्यादा तो नहीं थी पर इतनी थी की जंगल और बर्फ का मिलन सा था. आप बर्फ और जंगल दोनों का मज़ा ले सकते हैं नहीं तो अगर बर्फ बहुत ज्यादा मतलब एक या दो फीट हो तो जंगल से हरापन गायब हो जाता है फिर तो सब सफेद हो जाता है उसका अपना अलग मज़ा है और इसका अलग तो आज था सफ़ेद बर्फ और हरे जंगल का आनन्द.
हम चलते हुए हर 10 कदम पर रुक जाते कभी किसी पेड़ पर गिरी बर्फ को निहारने और फोटो के लिए तो कभी जमीन पर गिरी बर्फ के साथ रास्ते और जंगल के दृश्य के लिए. सभी लोग ठीक से चल पा रहे थे और बर्फ का पूरा आनन्द भी ले पा रहे थे क्योंकि बर्फ बहुत ज्यादा नहीं थी. नहीं तो बिनसर की बर्फ में यहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल है क्योंकि रोड में ज्यादा बर्फ होने से गाड़ियां नहीं चल पाती हैं और पैदल आप इतना चल कर बर्फ में आ जाएं तो ये आपका जुनून ही करवा सकता है.
शाम होने लगी थी और अविरल भी थक सा गया था थका तो ज्यादा नहीं था पर उसका जूता गीला हो गया था ज्यादा बर्फ में खेलने की वजह से. मेरे सिर्फ एक बार कहने पर की वापस चलें वो तुरंत बोला हां पापा चलो वापस और हम बीच रास्ते से ही वापस चल पड़े क्योंकि यात्रा तो बर्फ के दर्शन मात्र से ही पूरी हो चुकी थी ये सब तो बोनस था. बिनसर में आने का प्रयास करने और चल कर उसे सफल बनाने का. ये ही आशा है की बिनसर का जंगल हमेशा ऐसे ही आबाद रहे और उसके साथ ही आबाद रहें हमारी ये छोटी छोटी यात्राएं भी.
(Photos of Binsar 2022)
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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