समाज

नैनीताल में होने वाले खेलों की 100 साल पुरानी तस्वीरें

नैनीताल अपने शुरुआती दिनों से ही अंग्रेजों की पंसदीदा जगहों में से एक रही है. नैनीताल को लेकर यहां रहने वाले अंग्रेजों ने अलग अलग समय में खूब लिखा भी है. अंग्रेजों के इन लेखों से पता चलता है कि इस समय नैनीताल में एक नहीं बल्कि अनेक खेल हुआ करते थे. खेल भी ऐसे नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी चैम्पियनशिप का आयोजन नैनीताल में किया जाता था.
(Old Photos Sports in Nainital)

मसलन क्रिकेट, टेनिस, पोलो, रोविंग, रायफल शूटिंग, फुटबाल, तीरंदाजी और हॉकी जैसे तमाम खेलों का आयोजन नैनीताल में किया जाता था. इतिहासकार डेविड गिलमोर ने अपनी किताब द ब्रिटिश इन इंडिया में नैनीताल के सामाजिक जीवन पर लिखा है कि गर्मियों के मौसम में नैनीताल में एक या दो हफ्ते के लम्बे खेल और मनोरंजन के महोत्सवों का आयोजन किया जाता था. वह लिखते हैं:

छोटे स्टेशनों के लिए महत्वपूर्ण बात यह थी कि कार्यक्रम को इतना आकर्षक बनाया जाए कि महिलाएं इसमें भाग लेने के लिए लंबी दूरी तय कर सकें…

(Old Photos Sports in Nainital)

नैनीताल में होने वाले खेलों पर मारगेट मैलकम ने लिखा है: नैनीताल जैसी जगहों पर अंग्रेज मनोरंजन करना चाहते हैं और अपना पूरा दिन खेल और मनोरंजन के साथ बिताना चाहते हैं. खेलों को पसंद किए बिना समुदाय का सच्चा सदस्य बनना लगभग असंभव है.

नैनीताल में अंग्रेजों के समय होने वाले खेलों की कुछ तस्वीरें देखिये:
(Old Photos Sports in Nainital)

1867 में नैनीताल के फलैट्स में क्रिकेट की प्रतियोगिता. फोटो: ई-बे से साभार
एसेम्बली रूम्स के पास टेनिस की प्रतियोगिता, 1899
फ्लैट्स में पोलो का एक मैच, 1900. फोटो: अमर देव सिंह
नैनीताल रायफल क्लब, 1861 की ट्राफी.
रोविंग प्रतियोगिता 1911 की चैंपियन टीम
महिलाओं की रोविंग टीम का एक दल 1867
रानीखेत और नैनीताल के बीच हुये रोविंग मैच की ट्राफी जिसमें रानीखेत की टीम विजयी रही.

काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

हो हो होलक प्रिय की ढोलक : पावती कौन देगा

दिन गुजरा रातें बीतीं और दीर्घ समय अंतराल के बाद कागज काला कर मन को…

1 week ago

हिमालयन बॉक्सवुड: हिमालय का गुमनाम पेड़

हरे-घने हिमालयी जंगलों में, कई लोगों की नजरों से दूर, एक छोटी लेकिन वृक्ष  की…

1 week ago

भू कानून : उत्तराखण्ड की अस्मिता से खिलवाड़

उत्तराखण्ड में जमीनों के अंधाधुंध खरीद फरोख्त पर लगाम लगाने और यहॉ के मूल निवासियों…

2 weeks ago

यायावर की यादें : लेखक की अपनी यादों के भावनापूर्ण सिलसिले

देवेन्द्र मेवाड़ी साहित्य की दुनिया में मेरा पहला प्यार था. दुर्भाग्य से हममें से कोई…

2 weeks ago

कलबिष्ट : खसिया कुलदेवता

किताब की पैकिंग खुली तो आकर्षक सा मुखपन्ना था, नीले से पहाड़ पर सफेदी के…

2 weeks ago

खाम स्टेट और ब्रिटिश काल का कोटद्वार

गढ़वाल का प्रवेश द्वार और वर्तमान कोटद्वार-भाबर क्षेत्र 1900 के आसपास खाम स्टेट में आता…

2 weeks ago