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उत्तराखण्ड में अब जाति उत्पीड़न की बात करना भी हुआ अपराध

कोविड काल में उत्तराखण्ड ने जाति उत्पीड़न के मसलों के लिए भी देशव्यापी चर्चा बटोरी. कोविड की पहली लहर के दौरान नैनीताल के ओखलकांडा के एक क्वारंटाइन सेंटर में सवर्णों द्वारा दलित भोजन माता का बनाया खाना खाने से इनकार कर दिया था. (Caste Oppression in Uttarakhand)

पिछले साल के अंत में चम्पावत के सूखीढांग में सामान्य वर्ग के बच्चों ने दलित भोजन माता के हाथों बना भोजन ग्रहण करने से इनकार कर दिया था. इस मामले ने राष्ट्रीय ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय चर्चा भी बटोरी. गौरतलब है कि इस घटना से कुछ ही दिन पहले चम्पावत में एक शादी समारोह में दलित व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी थी. दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में जाति उत्पीड़न के ज्यादातर मामलों का कोई नतीजा नहीं निकलता. बाज दफा अपराधी चिन्हित ही नहीं हो पाते. अगर चिन्हित हुए तो तमाम ताकतें मामले को रफा दफा करने में लग जाती हैं.  अब तो हालात ऐसे बनाये जा रहे हैं कि दलित उत्पीड़न की बात करना ही अपराध बना दिया गया है.

चम्पावत में दलित भोजन माता के हाथों बना मिड डे मील बहिष्कार मामला

ताजा मामले में पिथौरागढ़ पुलिस द्वारा दलित पत्रकार किशोर कुमार के खिलाफ एक पोर्टल के लिए दलितों से जुड़े दो मसलों की रूटीन रिपोर्टिंग करने के लिए ही मुकदमा कायम कर किशोर कुमार के विरुद्ध दिनांक 22 फ़रवरी को धारा 153 A आईपीसी के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया था, इसके बाद 24 फ़रवरी को उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया. पिथौरागढ़ पुलिस ने ‘काफल ट्री’ को बताया कि यह मुक़दमा पुलिस द्वारा घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए कायम किया गया.

घटनाक्रम की सूचना अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर देते हुआ पिथौरागढ़ पुलिस ने लिखा है —

जनपद पिथौरागढ़ पुलिस

सोशल मीडिया के माध्यम से सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने तथा जातीय वैमनस्य फैलाने सम्बन्धी वीडियो वायरल करने पर कोतवाली पिथौरागढ़ पुलिस ने एक व्यक्ति को किया गिरफ्तार

सोशल मीडिया (फेसबुक, यूट्यूब) पर (पोर्टल का नाम) न्यूज पोर्टल को चलाने वाले  किशोर राम पुत्र श्री गोविन्द राम नि0 झूलाघाट जनपद पिथौरागढ द्वारा अपने न्यूज पोर्टल के माध्यम से वीडियो पोस्ट किये गए थे, जिसमें लोगों की बाइट लेते हुए बार-बार लोगों की जाति पूछने और सवर्णो द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या करने की बात कही जा रही है। किशोर राम उपरोक्त द्वारा अपने न्यूज पोर्टल (पोर्टल का नाम) के माध्यम से फेसबुक / यूट्यूब पर वीडियो प्रसारित करके दो जाति विशेष के समुदायो के मध्य सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने तथा जातीय वैमनस्य फैलाने का प्रयास किया गया, जिस पर किशोर राम उपरोक्त के विरुद्ध दिनांक- 22.02.2022 को  धारा 153 A IPC के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत किया गया।  पुलिस अधीक्षक महोदय श्री लोकेश्वर सिंह के आदेशानुसार, प्रभारी निरीक्षक कोतवाली पिथौरागढ़, श्री मोहन चन्द्र पाण्डे के नेतृत्व में उ0नि0 जावेद हसन व पुलिस टीम द्वारा उक्त प्रकरण की जाँच करते हुए अभियुक्त किशोर राम उपरोक्त को आज दिनांक-24.02.2022 को गिरफ्तार किया गया। अग्रिम वैधानिक कार्यवाही की जा रही है।   

पुलिस ने गिरफ्तारी का आधार बताते हुए किशोर पर आरोप लगाया है के वे जाति पूछकर जातिगत वैमनस्य को बढ़ावा दे रहे हैं. जिन दो मामलों के आधार पर पुलिस ने फुर्ती दिखाते हुए मुकदमा कायम कर जांच पूरी करने तक का काम तीन दिन में निबटा दिया है उनमें पीड़ित दलित समुदाय से ही हैं. एक मामले में दलित व्यक्ति की हत्या हुई है और दूसरे में एक पिता अपनी नाबालिग बेटियों के बलात्कारियों को इंसाफ दिलाने की मांग कर रहे हैं. दोनों ही मामलों में जांच में सुस्ती और हीलाहवाली की बात भी की जा रही है. दोनों मामलों में पीड़ित दलित हैं और आरोपी सवर्ण. दोनों ही वीडियोज में किशोर किसी भी पीड़ित से उसकी जाति नहीं पूछते, हां! वे उनकी जाति को रेखांकित जरूर करते हैं.

नैनीताल के ओखलकांडा में दलित भोजन माता का बनाया खाना खाने से इनकार

जिस प्रदेश में स्कूल, भर्ती व अन्य सरकारी फार्मों में जाति, धर्म का कॉलम भरवाया जाता हो, किराये पर मकान या जमीन बेचते समय जाति पूछी जाती हो, दो व्यक्ति जब मिलते हैं तो जाति जानने के बाद ही उनका सामाजिक व्यवहार आगे बढ़ता हो, वहां एक पत्रकार का पीड़ितों से जाति पूछना कैसे गुनाह हो गया? पुलिस की जानकारी का आलम यह है कि किशोर कुमार को जिस पोर्टल का संचालक बताया गया है वे उसके लिए सिर्फ रिपोर्टिंग करते हैं. पोर्टल में मालिकाने की बाबत सारी सूचनायें बाकायदा दर्ज हैं, जिसे पढ़ने की जहमत नहीं उठाई गयी.

इसे भी पढ़ें : टिहरी में दलित युवक की हत्या अपवाद नहीं है

दरअसल जिस प्रदेश में दलित उत्पीड़न के अधिकांश मुद्दे दर्ज ही नहीं हो पाते वहां एक भी पत्रकार का इन्हें उठाना पुलिस को खटक रहा है. किशोर उत्तराखण्ड के उन गिने-चुने पत्रकारों में हैं जो दलितों के मामले प्रमुखता से उठाते हैं. वे अपनी रिपोर्टों में पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े करते हैं. इसलिए पुलिस ने उनकी आवाज दबाने के लिए उन्हें गिरफ्तार करना बेहतर समझा. किशोर की गिरफ्तारी दलित उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने की नीयत रखने वाले अन्य पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को एक धमकी भी है. (Caste Oppression in Uttarakhand)

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Sudhir Kumar

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