समाज

चम्पावत के डाक बंगले का अनजाना रहस्य

अपनी किताब मैन-ईटर्स ऑफ़ कुमाऊँ की पहली कहानी में चम्पावत के डाक बंगले में गुजारी अपनी पहली रात के बारे में जिम कार्बेट ने लिखा है कि उस डाक बंगले के बारे में बताने को मेरे पास कहानियों की झड़ी है पर उन्हें में यहां नहीं कहूंगा क्योंकि जंगल की कहानियों के बीच में ऐसी कहानियां मेल नहीं खाती जो प्रकृति के नियमों से परे हों.
(Mystery of Champawat Bungalow)

चम्पावत के खूंखार नरभक्षी को मारने से पहले जिम कार्बेट इसी डाक बंगले में ठहरे थे. कार्बेट इसी कहानी में कहते हैं कि मेरे डाक बंगले लौटने पर मैंने देखा की तहसीलदार वहां पहले से मौजूद था. मैंने उसे अपने पूरे दिन के बारे में बताया. हमारी बातों के बाद तहसीलदार यह कहते हुये उठा की उसे लम्बा रास्ता तय करना है सो अभी उसे निकलना चाहिये. मुझे उसके इस निर्णय पर खतरा नज़र आ रहा था. एक ऐसी जगह जहां लोग बाघ के डर से दिन में झुण्ड में निकल रहे थे वहां उसे अंधेरे में अकेले गुजरना था. 4 मील की दूरी तय करने के लिये उसके पास एक आदमी और रौशनी के लिये धुंवा उड़ाती छड़ ही तो थी. मेरे सभी तर्कों को किसी बहरे की तरह ख़ारिज कर वह एक आदमी के साथ वरामदे से निकल गया. मैंने उसके सम्मान में अपनी टोपी निकाली और उसे अपनी आँखों से ओझल होता हुआ देख डाक बंगले में घुसा.

कार्बेट में इससे अधिक अपनी किताब में चम्पावत के डाक बंगले के रहस्य के विषय में कहीं और कुछ भी नहीं लिखा है लेकिन उसकी लिखी दोनों बातें इस ओर जरुर ईशारा करती हैं कि चम्पावत के डाक बंगले में कोई तो रहस्य था. कार्बेट के भतीजे ने मौरिस नेस्टर के अनुसार कार्बेट उस रात चम्पावत के डाक बंगले में अकेले नहीं थे उनके साथ बहादुर खान भी थे.
(Mystery of Champawat Bungalow)

चम्पावत के डाक बंगले में गुजारी पहली रात के समय बहादुर खान डाक बंगले के आगे तैनात थे. कार्बेट के अन्य साथी बंगले के पीछे लकड़ियों के भंडार घर में थे जबकि कार्बेट डाक बंगले के भीतर सोया था. बहादुर खान ने कार्बेट के परिवार के किसी सदस्य को बताया था कि डाक बंगले में सब कुछ सही नहीं था इसी वजह से तहसीलदार ने डाक बंगले में रुकने की बजाय आदमखोर बाघ के इलाके से अंधेरे में होकर निकलना चुना.

बहादुर ने आगे बताया कि रात के पहर में उसने कार्बेट के कमरे से बहुत ज्यादा शोरगुल सुना. अचानक कार्बेट ने दरवाजा खोला और वह बाहर बरामदे की तरफ हांफता हुआ आया. जब बहादुर उसके पास पहुंचा तो उसने देखा कार्बेट ने कमीज नहीं पहनी है उसका शरीर पसीने से तर है और उसके बाल पसीने से ऐसे भीगे हैं माने किसी ने पानी से गिले किये हों कार्बेट लम्बी-लम्बी भारी साँसें ले रहा था.

कार्बेट के इस तरह बाहर निकलने से और लोग भी जाग गये. बहादुर खान के अनुसार कार्बेट ने उनसे बस इतना कहा कि वह बाकी रात अंदर बिताने के बजाय उनके साथ बाहर बितायेगा. अगली रात कार्बेट डाक बंगले के भीतर नहीं सोया वह बरामदे में ही सोया. रातभर बुरी आत्माओं को भगाने के लिये आग जलाई गयी थी. यह चम्पावत के आदमखोर बाघ को मारने से पिछली रात की बात थी.         
(Mystery of Champawat Bungalow)

बिहाइंड द जिम कॉर्बेट स्टोरी किताब के आधार पर.

-काफल ट्री फाउंडेशन

Support Kafal Tree

.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • @kafal_tree #kafal_tree क्या उस डाक बंगले का एड्रेस बता सकते है कि exactly वो चंपावत में है कहां पर?????

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

3 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

3 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

4 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

5 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

5 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago