सुन्दर चन्द ठाकुर

यूं बनाएं अपनी सुबह को और भी सुंदर

कहते हैं कि किसी काम की अच्छी शुरुआत होने का मतलब है आधा काम हो गया. इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका दिन अच्छा गुजरे, तो उसके लिए आपको सुबह को अच्छा बनाना होगा. सुबह अगर थकी हुई है, नेगेटिव ऊर्जा और नेगेटिव सोच से भरी हुई है, सुबह अगर दिल में मायूसी है, थकान और आलस्य है, तो दिन का भी वैसा ही रहना तय है. बल्कि वह और भी बदतर होगा, क्योंकि दिन बढ़ने के साथ आपकी एनर्जी कम होती जाएगी.
(Mind Fit 21 Column)

एक दिन का अच्छा होना सौ मीटर की रेस दौड़ने जैसा है. आप रेस अच्छी तभी दौड़ सकते हैं, जबकि आपकी शुरुआत अच्छी हो. इसीलिए अनुभवी धावक अच्छी शुरुआत करने का ज्यादा अभ्यास करते हैं. अपने अनुभव से वे जान चुके हैं कि शुरुआत अच्छी हो जाए, तो बाकी रेस तो अपने आप अच्छी हो जाती है.

सुबह की अच्छी शुरुआत होने के लिए पहली शर्त यह है कि हम जल्दी उठें. सत्यनारायण लाल की ‘किसान’ शीर्षक से लिखी एक कविता की पंक्तियां हैं – नहीं हुआ है अभी सवेरा, पूरब की लाली पहचान. चिड़ियों के उठने से पहले, खाट छोड़ उठ गया किसान… पूरब की लाली के गायब होने से पहले उठना अनिवार्य है, क्योंकि तभी आपकी सुबह में चिड़ियों के मीठे गीत भर सकेंगे. उन गीतों को सुन आपका मन स्वत: ताजगी और स्फूर्ति से भर उठेगा.
(Mind Fit 21 Column)

सुबह हम जब उठते हैं, तो रातभर की नींद से शरीर में एक आलस्य बना रहता है. वहां एक जड़ता भरी रहती है, जो हमें बिस्तर की ओर खींचती है. इस जड़ता को खत्म करना बहुत जरूरी है. इसीलिए वैदिक काल में गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों के लिए सुबह उठते ही स्नान करना जरूरी हुआ करता था. आप इसलिए न स्नान करें कि गुरुकुल के विद्यार्थी ऐसा करते थे, बल्कि खुद करके देखें कि कैसा महसूस होता है.

नहा लेने के बाद शरीर में आई ताजगी के अहसास से भरे हुए आप 15-20 मिनट शांत होकर बैठ जाएं. इसी को ध्यान में उतरना भी कहते हैं. यह आपके मस्तिष्क में अपने अस्तित्व का एक मीठा अहसास भरने का काम करेगा. दिमाग में बहुत कोमल तरंगें प्रवाहित होने लगेंगी, आपको गहरा सुकून देते हुए. ध्यान पूरा होने के बाद दिनभर के लिए छोटे-छोटे संकल्प लें. इन संकल्पों को सिर्फ सोचें नहीं, बल्कि एक डायरी बनाएं और उसमें लिखें. ये संकल्प आपके जीवन में मौजूद चुनौतियों के बारे में हो सकते हैं.

आज मैं मीठे को हाथ नहीं लगाऊंगा, आज मैं किसी से गुस्से से बात नहीं करूंगा, आज मैं एक भी नेगेटिव बात नहीं सोचूंगा, आज मैं अपना नाश्ता, लंच और डिनर एकदम समय पर लूंगा, आज मैं पिछले कई दिनों से स्थगित हो रहे ये-ये काम पूरे करूंगा. आप कितनी भी तरह के कितने ही संकल्प कर सकते हैं. आप फर्क देखेंगे कि इन संकल्पों को लिखने से आप इन पर ज्यादा टिके रहते हैं. क्योंकि लिखते हुए वे आपके अवचेतन में भी प्रवेश कर जाते हैं. लिखने से उनकी दृढ़ता बढ़ जाती है.
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संकल्प लेने के बाद आपको खुद से बातें करनी हैं. अच्छी-अच्छी बातें. खुद को याद दिलाना है कि आपमें कितनी कूवत है और आप क्या-क्या कर सकते हैं. एक बात को याद रखें कि आप जैसा सोचते हैं, वैसा ही होता है. बस, आपका अपने सोचे हुए पर पूरा यकीन होना चाहिए. तो सोचिए और खुद को बताइए –

आज का दिन मेरे लिए प्रकृति का, ईश्वर का, इस ब्रह्मांड का उपहार है. आज का दिन बहुत खूबसूरत होगा. आज मैं अच्छी और पॉजिटिव बातें ही सोचूंगा. आज मैं जैसा सोचूंगा, वैसा ही करके भी दिखाऊंगा. आज मैं ‘आज’ में ही जिऊंगा, गुजरे हुए कल और आने वाले कल में नहीं. आज मैं पूरे दिन में जितने भी लोगों से मिलूंगा, सबसे मुस्कराते हुए मिलूंगा, किसी को जज नहीं करूंगा कि वह कैसा है. आज मुझे जहां मौका मिलेगा, मैं दूसरों को खुश करने की कोशिश करूंगा, उनके लिए आनंद की एक वजह बनूंगा. आज मैं पूरे दिन सचेत और सतर्क बना रहूंगा. अच्छा सोचूंगा, अच्छा सुनूंगा, अच्छा कहूंगा. आज का दिन मेरे नए कल की नींव बनेगा. आज से मेरा जीवन सकारात्मक बदलाव की दिशा में चलेगा. आज का दिन मेरे लिए सुनहरा दिन है. मैं इस सुनहरे दिन को भरपूर जिऊंगा.

सुबह-सुबह खुद से किए गए ये वादे आपकी सुबह को तो सुंदर बना ही देंगे, वे आपके दिन को भी कितना खूबसूरत बनाते हैं, खुद करके देख लीजिए. करेंगे, तो ही जान पाएंगे.
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सुन्दर चन्द ठाकुर

कवि, पत्रकार, सम्पादक और उपन्यासकार सुन्दर चन्द ठाकुर सम्प्रति नवभारत टाइम्स के मुम्बई संस्करण के सम्पादक हैं. उनका एक उपन्यास और दो कविता संग्रह प्रकाशित हैं. मीडिया में जुड़ने से पहले सुन्दर भारतीय सेना में अफसर थे. सुन्दर ने कोई साल भर तक काफल ट्री के लिए अपने बचपन के एक्सक्लूसिव संस्मरण लिखे थे जिन्हें पाठकों की बहुत सराहना मिली थी.

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