प्रिंस राज सिंह रौतेला मध्य अफ्रीकी देश गैबॉन की राजधानी लिब्रेविले के एक होटल/रेस्तरां में सुपरवाइजर है. उसके साथ रेस्टोरेंट में दो अन्य व्यक्ति भी उत्तराखंड के हैं. जिनमें से एक कोटद्वार का और एक चंपावत का है. इसके अलावा कुछ लोग उत्तर प्रदेश के हैं तो बाकी सभी लोग दक्षिण भारतीय हैं. गैबॉन में फ्रेन्च ही मुख्यतौर पर बोली जाती है. प्रिंस राज ने काम चलाऊ फ्रेंच सीख ली है. जिसके कारण उसे काम करने में कोई दिक्कत नहीं होती है. 2 महीने की छुट्टी के लिए वह अपने घर नरगोली जा रहा था इसी दौरान हल्द्वानी स्थित मेरे आवास में मुलाक़ात हुई.
(Middle African Country Gabon)
प्रिंसराज के अनुसार, मध्य अफ़्रीकी देश गैबॉन प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है. अटलांटिक महासागर पर स्थित, इसकी सीमा कैमरून, इक्वेटोरियल, गिनी और कांगो गणराज्य से लगती है. लगभग 23 लाख आबादी वाले गैबॉन के 30 प्रतिशत बाजार पर चीन का कब्जा है. समुद्र तटीय देश होने के कारण यहॉ टूरिस्ट बहुत आते हैं. पुरुषों की अपेक्षा महिला आबादी ज्यादा है. सीफा यहां की मुद्रा है. उसके अलावा यूएस डालर का महत्व भी यहां अधिक है. यहां सबसे छोटा नोट 500 सीफा और सबसे बड़ा नोट 10,000 सीफा का है. सब फिल्टर वाला बोतल बंद पानी पीते हैं. इसके अलावा विभिन्न ब्रांड के कोल्ड ड्रिंक की भी यहां बहुत मांग है. पानी का कारोबार यहां बहुत बड़ा है. लोग ब्रेड ही ज्यादा खाते हैं. भात कम खाते हैं. यहां के खाने में मांसाहारी भोजन अधिक पसंद किया जाता है जिसमें मछली, चिकन, मटन, बीफ काफी खाया जाता है. दूसरे देशों से आए शाकाहारी व्यक्ति को यहां भोजन के लिए काफी परेशान होना पड़ता है क्योंकि शाकाहारी भोजन बहुत कम मात्रा में यहां बनता है.
तेल उत्पादक देश होने के कारण यहां के यातायात में महंगे कारें शामिल हैं. सरकार की ओर से चलाई जाने वाले बसों में यात्रा निशुल्क होती है. यहां दो पहिया बहुत कम दिखाई देते हैं. महंगी कारें रखने का शौक यहां के लोगों को बहुत ज्यादा है. लैंडक्रूजर, प्राडो, मर्सिडीज, टैसला आदि महंगी कारें यहां अधिकतर लोगों के पास हैं. यहां के कर बाजार में टोयोटा का आधिपत्य है. टैक्सी भी टोयोटा कंपनी की अधिकतर होती है. कारों की अधिकता होने के कारण यहां की सड़कों में ट्रैफिक बहुत अधिक है. पैसे वाले लोग और टूरिस्ट बसों में यात्रा करने की बजाय टैक्सी से जाना पसंद करते हैं, क्योंकि टैक्सियां बहुत आसानी से सड़क में उपलब्ध हो जाती हैं. वहीं दूसरी ओर बसों के लिए इंतजार करना पड़ता है.
गैबॉन की राजधानी लिब्रेविले से नई दिल्ली आने के लिए इथोपियन एयर लाइन, टर्की एयर लाइंस, फ्रांस एयरलाइंस, साउथ अफ्रिका एयर लाइंस की हवाई सेवा उपलब्ध है. प्रिंस राज बताता है कि वहां रहना काफी सस्ता है. लाइट कभी नहीं जाती. जिस तरह से यहां मोबाइल रिचार्ज किया जाता है, कुछ उसी तरह से वहां बिजली रिचार्ज की जाती है. देर रात में भी अगर बिजली का रिचार्ज खत्म हो जाए तो तुरंत फोन करने पर रिचार्ज हो जाता है. वहां पूरे साल मौसम न अधिक ठंडा होता है और न अधिक गर्म. गैबॉन के लोग बहुत अधिक मिलनसार हैं. वह बाहर के लोगों को भी पूरी तरह से हर मामले में सपोर्ट करते हैं. भारतीयों के ईमानदार व्यवहार के कारण गैबॉन में उन्हें बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है. वायरस संबंधी रोगों के लिए अफ्रीकी देश बहुत संवेदनशील हैं. कभी निपाह और कभी कोरोना जैसे वायरस संबंधी रोग यहां बहुत तेजी से फैलते हैं. जिसकी वजह से इन देशों में जाने से पहले कुछ विशेष टीके लगवाने अनिवार्य हैं.
(Middle African Country Gabon)
गूगल से ली गई जानकारी के अनुसार, गैबॉन 17 अगस्त 1960 को फ्रांस से आज़ाद हुआ. इसी कारण यहां की अधिकारिक भाषा फ्रेंच है. जिस तारीख में इसे आजादी मिली उस तारीख को गैबॉन की राष्ट्रीयता हासिल करने वालों में गैबॉन का अधिवासित कोई भी व्यक्ति शामिल था, जिसमें उनके बच्चे और जीवनसाथी भी शामिल थे. हालाँकि, जो लोग गैबॉन में पैदा नहीं हुए उन लोगों को गैबॉन में रहने के अपने इरादे को राज्य के प्रमुख के साथ पंजीकृत करके पुष्टि के लिए आवेदन करना पड़ता था. सन् 1885 में गैबॉन एक फ्रांसीसी उपनिवेश बन गया, तो लिब्रेविले को इसके रणनीतिक तटीय स्थान के कारण औपनिवेशिक प्रशासनिक केंद्र बनाया गया था. तब से यह गैबॉन की राजधानी है.
गत 31 अगस्त 2023 को गैबॉन में सेना ने तख्तापलट किया और राष्ट्रपति अली बोंगो को अपदस्थ कर दिया. बोंगो को घर में नजरबंद रखा गया है. अपदस्थ गैबोनी राष्ट्रपति अली बोंगो ने घर में नजरबंद किए जाने के बाद मदद की भावनात्मक गुहार लगाई. पर जनता ने उनका साथ नहीं दिया. तख्तापलट ने गैबॉन में सत्ता पर उनके परिवार की 55 साल की पकड़ को समाप्त कर दिया . उनके पिता, एल हादज उमर बोंगो ओन्डिम्बा, 1967 से लगभग 42 वर्षों तक राष्ट्रपति रहे. जब 2009 में अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई, तो उनके बेटे ने उस चुनाव में राष्ट्रपति पद जीता, जिसकी उस समय वंशवाद के तौर पर तीखी आलोचना हुई थी.
(Middle African Country Gabon)
बोंगो को सत्ता से हटाने की खबर का लोगों ने खुशी के साथ स्वागत किया, सैन्य जुंटा के समर्थन में भीड़ सड़कों पर उतर आई. जर्नल कोर्तिया ओलिग्यो नग्यूमॉ ने सत्ता अपने हाथ में ले ली. गैबॉन में भ्रष्टाचार की लंबे समय से चर्चा होती रही है, कई लोगों का मानना है कि देश की बड़ी तेल संपदा से प्राप्त राजस्व समान रूप से वितरित नहीं किया जा रहा है, जिससे कई लोग गरीबी में हैं. ओपेक का सदस्य गैबॉन , प्रतिदिन 200,000 बैरल से अधिक तेल का उत्पादन करता है, लेकिन अफ्रीका की प्रति व्यक्ति आय सबसे अधिक होने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुसार, 2.3 मिलियन की एक तिहाई से अधिक आबादी गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली मानी जाती है.
दरअसल, 26 अगस्त 2023 को हुए चुनाव में बोंगो को तीसरी बार सत्ता मिलने की उम्मीद थी. उन्हें कथित तौर पर 64 प्रतिशत से अधिक मत मिले.मतदान बंद होने से पहले ऐसी शिकायतें थीं कि कई मतदान केंद्रों पर बोंगो के मुख्य प्रतिद्वंद्वी, पूर्व विश्वविद्यालय प्रोफेसर और एक बार के शिक्षा मंत्री, अल्बर्ट ओन्डो ओसा के नाम वाले कागजात नहीं थे.ऐसी भी खबरें थीं कि मतदान केंद्र खुलने में काफी देरी हुई, इंटरनेट बंद कर दिया गया और मतदान बंद होते ही कर्फ्यू लगा दिया गया.
चुनाव अधिकारियों को यह घोषणा करने में तीन दिन लग गए कि बोंगो ने 64.3 प्रतिशत वोट के साथ जीत हासिल की है, जबकि ओसा को 30.8 प्रतिशत वोट मिले. बताया जाता है कि नतीजे घोषित होने के एक घंटे के भीतर ही तख्तापलट हो गया. तख्ता पलट के बाद सेना ने आम आदमी को बिल्कुल भी परेशान नहीं होने दिया है. इस समय गैबॉन में रात्रि का लॉकडाउन लगा हुआ है. वहां सवेरे 6:00 बजे से शाम को 6:00 बजे तक ही सारे कामकाज हो रहे हैं. शाम 6:00 बजे के बाद सारे ऑफिस, रेस्तरां, होटल, बाजार वगैरह सब बंद हो जाते हैं. पर आम आदमी को इससे कोई दिक्कत नहीं है. दिन में कोई भी कहीं आराम से आ जा सकता है.
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जगमोहन रौतेला
जगमोहन रौतेला वरिष्ठ पत्रकार हैं और हल्द्वानी में रहते हैं.
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