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लता मंगेशकर ने जब बिना फ़ीस लिये गढ़वाली गीत गाया

भारत रत्न से सम्मानित लता मंगेशकर का निधन हो गया है. 92 वर्ष की लता मंगेशकर बीते 8 जनवरी से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थीं. आठ दशक से भी अधिक समय से भारत की आवाज बनीं लता लता मंगेशकर ने 30 से ज्यादा भाषाओं के गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा. लता मंगेशकर द्वारा गाये एकमात्र गढ़वाली गीत की रचना का एक किस्सा पढ़िये:  
(Lata Mangeshkar Garhwali Song)

साल 1990 में एक गढ़वाली फिल्म रिलीज हुई जिसका नाम था रैबार. पलायन पर ठोस संदेश देती इस फिल्म की सबसे ख़ास बात बनी फिल्म का एक गीत जिसे आवाज दी थी स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने. गीत के बोल थे मन भरमेगे…

रैबार फिल्म में गाये इस गीत की रिकार्डिंग लता मंगेशकर द्वारा 4 अक्टूबर 1988 के दिन की गयी थी. रिकार्डिंग खत्म होने के बाद जब लता मंगेशकर को निर्माता किशन पटेल ने एक चैक दिया तो उन्होंने इसे ख़ुद न लेकर बच्चों की एक संस्था को डोनेट करवा दिया. इस संबंध में अपने एक इंटरव्यू के दौरान संगीतकार कुंवर बावला ने बताया कि फीस कितनी थी इस बारे में तो हमें जानकारी नहीं लेकिन लता दी ने चैक ख़ुद न लेकर एक संस्था को डोनेट कर दिया.
(Lata Mangeshkar Garhwali Song)

लता मंगेशकर की आवाज में गाये गये इस गीत के बोल देवी प्रसाद सेमवाल ने लिखे और कुंवर सिंह रावत यानी कुंवर बावला ने इसे संगीत दिया. लता मंगेशकर की आवाज में रिकार्ड यह एकमात्र गढ़वाली गीत है. गीत के बोल बेहद सामान्य गढ़वाली में लिखे गये थे.

गीत की रिकार्डिग के दौरान रैबार की पूरी टीम उत्साहित थी रिकार्डिंग का दिन याद करते हुये टीम के सदस्य कहते हैं यह हमारे लिये एक उत्सव का दिन था. एक गायिका जिसे हम बरसों से रेडियो में सुनते आ रहे हैं आज हम उनके साथ गाना रिकार्ड कर रहे थे.
(Lata Mangeshkar Garhwali Song)

धुन पहाड़ की यूट्यूब चैनल की सीरीज गीत यात्रा के आधार पर.

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