“उठो जागो लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत.” स्वामी विवेकानन्द के ये विचार अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन पर एकदम फिट बैठते हैं, ऐसा लगता है जैसे स्वामी जी लक्ष्य से स्वयं ये वाक्य कह रहें हों और लक्ष्य सेन खुद भी स्वामी जी के इस कथन का पालन करते हुए सही साबित हो रहें हैं. हर दिन सफल हो कर सफलता के नए कीर्तिमान बना रहें हैं. (Lakshya Sen Welcome in Almora)
लक्ष्य आज के दिन दुनिया के टॉप दस खिलाड़ियों में से एक हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय खिताब अपने नाम कर चुके हैं. अल्मोड़ा में जन्मे, पले, बड़े हुए (वैसे वो अभी सिर्फ 20 साल के हैं) और बैडमिंटन की बारीकियों को बेहद कम उम्र में पहले अपने दादा स्वर्गीय सी. एल. सेन से और फ़िर अपने गुरु और पिता डी. के. सेन से सीखे हैं. लक्ष्य सेन, बैडमिंटन के खेल में आज भारत का नाम विश्व पटल में सबसे आगे करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. लक्ष्य सेन अभी हाल में ही थॉमस कप की ऐतिहासिक जीत जिसे बैडमिंटन का विश्व कप भी कहा जाता है में भी भारतीय टीम का हिस्सा रहे और इस जीत में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही.
खुद प्रधानमंत्री ने उनसे और पूरी टीम से मुलाकात कर उनका मनोबल बढ़ाया, इस दौरान लक्ष्य ने अल्मोड़ा की प्रसिद्ध बाल मिठाई भी प्रधानमंत्री को उनकी इच्छा अनुसार भेंट की.
अपनी पूरी टीम के साथ थॉमस कप जीतने के बाद पहली बार अल्मोड़ा आगमन पर अल्मोड़ा के खेल प्रेमियों, अल्मोड़ा की जनता और अल्मोड़ा के रामकृष्ण मिशन के संतों ने दिल खोल कर लक्ष्य सेन और उनके पूरे परिवार का स्वागत किया. लक्ष्य जिस तरह से खेल रहें हैं वह दिन दूर नहीं जब वो ओलंपिक का स्वर्ण पदक भारत के लिए जीतेंगे और हमें उम्मीद करनी चाहिए कि वो एक नहीं कई स्वर्ण पदकों से अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे.
जयमित्र सिंह बिष्ट
अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.
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