Featured

इतिहास का खज़ाना है बिनसर की खाली एस्टेट

बिनसर की खाली एस्टेट

अल्मोड़ा के नज़दीक स्थित बिनसर (Binsar) वन्यजीव अभयारण्य अपनी ख़ूबसूरती के लिए खासा प्रसिद्ध है. इस इलाके में गिनती के पुराने बंगले हैं. इन सभी बंगलों का बहुत पुराना इतिहास रहा है. इन्हीं में से एक है खाली एस्टेट (Khali Estate).

खाली एस्टेट बिनसर के जीरो पॉइंट जाने वाली सड़क पर पड़ने वाला पहला बंगला है. मुख्य सड़क से बाईं ओर जाने पर यहाँ पहुंचा जा सकता है. एस्टेट के कर्ताधर्ता श्री मथुरादत्त पांडे जिन्हें सभी लोग आदर से मामाजी कहते आये हैं, इस स्थान के बारे में बहुत उत्साह से बताने को हर समय तैयार रहते हैं.

हैनरी रैमजे के दस्तखत वाला दस्तावेज़

रैमजे का घर था यहाँ

बंगले के बाहर अंग्रेजों के ज़माने की दो रजिस्ट्रियों की प्रतिलिपियाँ फ्रेम करके टांगी गयी हैं जिन पर 1849 और 1893 की तारीखें अंकित हैं. बंगले को कुमाऊँ के तत्कालीन कमिश्नर हैनरी रैमजे ने 1893 में आर्थर विल्सन से खरीदा था. इसे उन्होंने अपना बँगला बनाया जबकि बिनसर में ही स्थित एक और बंगले को उन्होंने अपने दफ्तर के लिए खरीदा जिसमें आज एक होटल चलता है. बाद में इसे पंडित नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित ने खरीदा.

जमनालाल बजाज द्वारा पंद्रह हज़ार रूपये में गांधी जी के आश्रम के लिए संपत्ति खरीदे जाने संबंधी दस्तावेज

महात्मा गांधी का शैलाश्रम

1929 में अपने कुमाऊं दौरे के बाद महात्मा गांधी इसी जगह पर अपना आश्रम बनाना चाहते थे. मामाजी बताते हैं कि कौसानी का अनासक्ति आश्रम नहीं बल्कि खाली एस्टेट का आश्रम गांधी जी का स्वप्न था. इस उद्देश्य के लिए विख्यात व्यापारी जमनालाल बजाज ने पंद्रह हज़ार रुपयों में इस एस्टेट को एक आश्रम के लिए खरीद लिया जिसे गांधीजी शैलाश्रम का नाम दे चुके थे.

 

नवनीत पारिख और दलाई लामा

नवनीत पारिख और उनका हिमालय प्रेम

गुजरात के पर्वतप्रेमी व्यापारी नवनीत पारिख ने बाद में इसे खरीदा. नवनीत बहुत ऊंची पहुँच वाले और पढ़े-लिखे व्यक्ति थे. इसकी मिसाल इस बात से मिलती है की खाली एस्टेट में प्रवेश करने वाले गलियारे में आज भी विख्यात चित्रकार यामिनी रॉय की ओरिजिनल पेंटिंग्स फ्रेमों में लगी हुई हैं.

यामिनी रॉय की ओरिजिनल पेंटिंग

यामिनी रॉय की एक और ओरिजिनल पेंटिंग

खाली एस्टेट में एक विषद पुस्तकालय भी है जहां हिमालय, इतिहास, अध्यात्म और साहित्य की अनेक दुर्लभ पुस्तकें देखी जा सकती हैं. कैलाश मानसरोवर पर खुद नवनीत पारिख की लिखी एक दुर्लभ पुस्तक यहाँ है जिसके शुरुआती पृष्ठ पर लेखक को दलाई लामा के साथ देखा जा सकता है.

हरीश कपाड़िया के फोटो

मशहूर पर्वतारोही हरीश कपाड़िया के अनेक हिमालयी फोटोग्राफ्स खाली एस्टेट की दीवारों की शोभा बढाया करते हैं. गुजरात के पर्यटकों के बीच खाली एस्टेट आज भी बहुत लोकप्रिय है. यह बहुत अफ़सोस का विषय है कि उत्तराखण्ड के अधिकाँश लोगों को इस ऐतिहासिक महत्त्व की जगह के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है.

खाली एस्टेट में विख्याता तिब्बती कवि-कार्यकर्ता तेनजिन त्सुन्दू और काफल ट्री के सहयोगी जयमित्र सिंह बिष्ट के साथ खाली एस्टेट के कर्ताधर्ता मथुरादत्त पांडे उर्फ़ मामाजी

इस एस्टेट के अनेक अनजाने पहलुओं के बारे में आपको अगली पोस्ट्स में जल्दी ही बताया जाएगा.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

  • खाली एस्टेट के बारे में अच्छी जानकारी दी आपने ...... इतिहासिक जगह की अहमियत से अच्छी जगह है ये ..... इसमें रुका जा सकता है या केवल संग्राहालय के तौर पर देखने की जगह है ...

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago