वीडियो

नयी जिल्द में कुछ पुराने कुमाऊनी गीत

घर में उपलब्ध मामूली संसाधनों से भी अच्छा संगीत तैयार किया जा सकता है, बशर्ते कुछ नया आजमाने की जिद हो. हल्द्वानी के संगीत शिक्षक करन जोशी उत्तराखण्ड के संगीत को लेकर पिछले कुछ सालों से नए प्रयोग करते रहे हैं. लॉकडाउन ने उनकी रचनात्मकता के सफर को रोका नहीं बल्कि नयी दिशा देने का ही काम किया. (Kedarnaad Karan Joshi)

मोबाइल हेडफोन के माइक, कम्पूटर सॉफ्टवेयर और कुछ साजों के साथ उन्होंने चुनिंदा कुमाऊनी गीतों को घर पर ही रिकॉर्ड किया. इस दौरान करन ने गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’, कबूतरी देवी, हीरा सिंह राणा जैसे दिग्गज लोककलाकारों के गीतों के साथ नए प्रयोग किये. करन ने इस दौरान 5 नए गीत अब तक तैयार कर रिलीज कर दिए हैं और छठा वे जल्दी ही रिलीज करने वाले हैं. यू ट्यूब चैनल ‘केदारनाद’ के लिए तैयार किये गए इन गीतों को श्रोताओं का भी प्यार मिला है.

करन का नया गाना – 

युवाओं द्वारा उत्तराखण्ड के लोक संगीत को पारंपरिक और आधुनिक वाद्ययंत्रों के इस्तेमाल से नए कलेवर में पेश करने का चलन देखने में आया है. इन कोशिशों में कुछ अच्छा संगीत भी बन रहा है तो बेसुरा भी. इनमें से कुछ युवा गीतों को भौंडा बनाने के बजाय उनकी पहाड़ी आत्मा को बचाये-बनाये रखने के जतन के साथ अच्छा काम कर रहे हैं.

आधुनिक और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के संयोग से बने ये गीत ख़ास तौर से युवाओं के बीच लोकप्रिय भी हो रहे हैं. ऐसे युवाओं कि संख्या भले ही कम है लेकिन ये उत्तराखण्ड के लोकसंगीत की नयी आशा जरूर हैं. इसी कड़ी में करन जोशी का नाम लिया जा सकता है. सभी की तरह उनके काम को भी फिलहाल कोशिश की श्रेणी में ही रखा जा सकता है. काफल ट्रीके पाठक करन और उनके संगीत से परिचित ही हैं. करन ने महानगर में खपने के बाद पहाड़ लौटकर उत्तराखंडी संगीत की दिशा में कुछ प्रयोग करने हल्द्वानी के करन जोशी इसी कड़ी में अपने सुर जोड़ रहे हैं. करन गायक हैं, साजिंदे और संगीतकार भी.

 

करन जोशी के यू ट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करने के लिए इस लिंक को क्लिक करें: केदारनाद

काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online

‘केदारनाद’ की कुमाऊनी होली बसंती नारंगी

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago