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काशीपुर: उत्तराखंड का पौराणिक व्यापारिक व औद्योगिक शहर

उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल के जिला ऊधम सिंह नगर का शहर है काशीपुर. 2011 की जनगणना के मुताबिक काशीपुर तहसील की कुल आबादी 2,83,136 है. इस लिहाज से यह कुमाऊं मंडल का तीसरा और राज्य का छठा बड़ा शहर है.

पौराणिक काल में काशीपुर का नाम गोविषण हुआ करता था, इसका विवरण चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरणों में भी मिला करता है. बाद में इसका नाम उझैनी, उजैनी या उज्जयनी हो गया. आज भी काशीपुर के पुराने किला क्षेत्र को उझैनी, उजैनी कहा जाता है. इस क्षेत्र की बहुमान्य देवी बालसुंदरी को भी उझैनी, उजैनी देवी भी कहा जाता है. बालसुंदरी को ज्वाला देवी का स्वरूप माना जाता है.

काशीपुर कुणिद, कुषाण, गुप्त व यादव आदि राजवंशों का हिस्सा भी रहा. चंद शासनकाल में यह उनके राज्य के कोटा मंडल का मुख्यालय हुआ करता था. चंदवंशीय राजा बाज बहादुर चंद के शासनकाल में 1639 में उनके प्रशासनिक अधिकारी काशीनाथ अधिकारी ने इस नगर को नए सिरे से बसने का काम किया. उन्हीं के नाम पर इसका नाम काशीपुर कहा जाने लगा.

Kashipur Mythological Business and Industrial City UttarakhandKashipur Mythological Business and Industrial City Uttarakhand

गोविषाण नगर के अवशेष

1803 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. अंग्रेजों द्वारा इसे एक अलग प्रशासनिक इकाई के रूप में संचालित किया गया. उन्होंने अल्मोड़ा के चंदवंशीय शासक महेंद्र सिंह के वंशज शिव सिंह को पेंशन देकर यहाँ नाम मात्र के राजा के रूप में बिठा दिया.

काशीपुर प्राचीन काल से ही कृषि व लघु उद्योगों का केंद्र भी रहा है. यह व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र भी हुआ करता था, यहाँ ऐतिहासिक रूप से बर्तनों का व्यापार होता आया है. ब्रिटिश काल में यह कपड़ों के व्यापार का केंद्र भी रहा, यहाँ जापान, चीन व मेनचेस्टर तक से कपडे आया करते थे जिनका व्यापार पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर तिब्बत तक किया जाता था.

कालांतर में यहाँ आधुनिक उद्योगों की स्थापना की गयी. उत्तराखण्ड राज्य के गठन के बाद राज्य के तीव्र औद्योगिकीकरण के लिए सिडकुल के अंतर्गत चिन्हित किये गए क्षेत्रों में काशीपुर प्रमुख है. आज यह राज्य के बड़े औद्योगिक केन्द्रों में से है.

ढेला नदी, जिसे स्वर्णभद्रा भी कहा जाता था, के तट पर बसे काशीपुर में 1872 में नगर पालिका की स्थापना की गयी. 2011 में यह उत्तराखण्ड राज्य का नगर निगम घोषित किया गया.

देवी महिषासुर मर्दिनी, बालसुंदरी, द्रोणसागर, गिरी ताल, मोटेश्वर महादेव, उज्जैन किला शहर के देखे जाने योग्य स्थल हैं. काशीपुर का तुमडिया डैम जैव विविधता के लिए देश भर में पहचाना जाता है.

द्रोण सागर के बारे में कहा जाता है कि यहाँ पांडवों को द्रोणाचार्य द्वारा तीरंदाजी का प्रशिक्षण दिया जाता था. पांडवों द्वारा अपने गुरु के सम्मान में द्रोण सागर बनवाया गया. यहाँ आज भी द्रोणाचार्य की निशाना साधे एक मूर्ति बनी हुई है.

काशीपुर का चैती मैला अतीत में जानवरों की खरीद-फरोख्त के लिए विख्यात मेला हुआ करता था, यह कई दिनों तक चला करता था. यहाँ ख़ास तौर से नस्ली घोड़ों की तिजारत होती थी. वर्तमान में मेले का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है.

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Sudhir Kumar

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